Shukra Tara Ast 2022: शुक्र हो गए हैं अस्त, शुभ कामों के लिए करना होगा इंतजार

punjabkesari.in Friday, Jan 07, 2022 - 07:42 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shukra asta january 2022: ज्योतिष में ऐश्वर्या, सौंदर्य, ग्लैमर, प्रेम, विलासिता और सुख-समृद्धि का प्रतीक माने जाने वाले शुक्र ग्रह वर्ष 2022 की शुरुआत में ही अस्त हो रहे हैं। शुक्र ग्रह का अस्त अवस्था में होना वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि शुक्र ग्रह सभी सुख-सुविधाओं का मुख्य कारक हैं। इसके अतिरिक्त यह नैसर्गिक रूप से भी शुभ ग्रह है और यही कारण है कि सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में शुक्र ग्रह का अस्त होना त्याज्य माना गया है।

PunjabKesari Shukra Tara Ast

जिस प्रकार किसी भी ग्रह का सूर्य के नज़दीक आना उसे अस्त कर सकता है, ठीक उसी प्रकार जब शुक्र ग्रह का गोचर होता है और वह किसी विशेष स्थिति में सूर्य के इतना समीप आ जाता है कि उन दोनों के मध्य 10 अंश का ही अंतर रह जाता है तो शुक्र ग्रह अस्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में शुक्र के मुख्य कारक तत्वों में कमी आ जाती है और वह अपने शुभ फल देने में कमी कर सकता है।  शुक्र एक कोमल ग्रह है और सूर्य एक क्रूर ग्रह इसलिए जब शुक्र अस्त होता है तो उसके शुभ परिणामों की कमी हो जाती है और व्यक्ति कई प्रकार के सुखों से वंचित हो सकता है।

ज्योतिष में शुक्र ग्रह को नैसर्गिक भोग विलास व दाम्पत्य का कारक भी माना जाता है। वृषभ राशि व तुला राशि शुक्र की अपनी राशियां है जबकि मीन राशि में वह उच्च के होते हैं। कन्या राशि में शुक्र नीच के माने जाते हैं। जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होते हैं, उसे जीवन में प्रेम और धन दोनों चीजें प्रदान करते हैं और जीवन में सुख-सुविधाओं की बरसात करते हैं। प्रेम रस से लेकर जीवन के सारे रस हमें प्रदान करते हैं।

शुक्र ग्रह हमें आर्टिस्टिक नेचर देते हैं। हमें सौंदर्य प्रेमी बनाते हैं। हमें स्त्री सुख, वाहन सुख और धन का सुख प्रदान करते हैं यानी पूरी विलासिता देते हैं। अगर ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को नवग्रहों में देव गुरु का दर्जा हासिल है तो शुक्र को असुरों का गुरु माना जाता है। जन्म कुंडली में शुक्र के प्रभाव से ऐश्वर्य प्राप्त होता है। शुक्र के प्रभाव वाले लोग पेंटिंग, डांस, आर्ट, थियेटर व सिनेमा जैसे क्रिएटिव सेक्टर से ताल्लुक रखते हैं।

शुक्र कुंडली में मजबूत स्थिति में होने पर अगर हमें जीवन के पूरे रस प्रदान करते हैं तो यही शुक्र अगर खराब स्थिति में हों या नीच के हों तो हमें नीरसता प्रदान करते हैं। शुक्र के कुंडली में अशुभ होने पर यौन जनित रोग और परिवार में बिखराब की स्थिति पैदा होती है। वैवाहिक जीवन भी काफी हद तक इससे प्रभावित होता है।

PunjabKesari Shukra Tara Ast

नए साल के पहले ही सप्ताह में 4 जनवरी को 8:32 पर शुक्र ग्रह धनु राशि में पश्चिम दिशा में अस्त हो गए हैं और 14 जनवरी को जाकर उदय होंगे। शुक्र सातवें भाव के कारक होते हैं। विवाह से सम्बन्ध रखते हैं और लग्जरी लाइफ के प्रतीक होते हैं।

अभी धनु राशि सूर्य के साथ शुक्र युति में हैं। राहु-सूर्य -शुक्र 6/8 की स्थिति में हैं। उनकी वृषभ राशि पर पहले से ही राहु विराजमान हैं और दूसरी तुला राशि पर शनि की दृष्टि है। अब खुद 4 जनवरी को शुक्र अस्त होने जा रहे हैं। शुक्र जलीय तत्व, आग्नेय दिशा के स्वामी हैं। शुक्र अस्त होने के बाद कमजोर स्थिति में आ जाते हैं।

शुक्र जब अस्त हो जाते हैं तो इसे तारा डूबना भी कहा जाता है। शुक्र तारा डूबना से तात्पर्य है शुक्र ग्रह का अस्त होना। इसे शुक्र का लोप होना भी कहा जाता है। सभी प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्यों में और मुख्य रूप से विवाह संस्कार जैसे अत्यंत शुभ कार्य के लिए शुक्र का लोप होना अच्छा नहीं माना जाता और इसी वजह से जब शुक्र अस्त होता है तो उस समयावधि के दौरान विवाह जैसा पवित्र कार्य भी वर्जित माना जाता है और शुक्र के पुनः उदय होने पर ही इस प्रकार के कार्य पूर्ण किये जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस समय शुक्र ग्रह अस्त हो, उस समय में यज्ञ, हवन, यज्ञोपवीत संस्कार, मन्दिरों का निर्माण कार्य, विवाह, मकान का नींव आदि कार्यो को प्रारम्भ नहीं करना चाहिए। सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com 

PunjabKesari Shukra Tara Ast 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News