Kundli Tv- इस शिवलिंग के सामने गजनवी की हुई ऐसी की तैसी
punjabkesari.in Saturday, Sep 22, 2018 - 10:34 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
आज देश में हर जगह हिंदू मुस्लिम के नाम पर विवाद हो रहे हैं। इस हिंसा के चलते लोगों के बीच एकता और भाईचारे की भावना तो खत्म ही होती जा रही है। एेसे में अगर आपको किसी शिव मंदिर में किसी हिंदू के साथ-साथ कोई मुस्लिम सर झुकाता दिख जाए तो शायद आप अपनी आंखों पर भी भरोसा नहीं करेंगे। लेकिन आपको बता दें कि एक एेसा प्राचीन शिव मंदिर है, जहां हिंदुओं के साथ-साथ अनेकों मुस्लिम भी शिव को अपने आराध्य मानते हैं।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से 25 कि.मी. दूर एक ऐसा शिवलिंग स्थापित है, जिस पर इस्लाम का एक पाक वाक्य लिखा हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की बहुत कोशिशें की थी, मगर वो कामयाब नहीं हो सका। जिसके बाद उसने इस पर उर्दू में 'लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलअल्लाह' लिखवा दिया ताकि कोई हिंदू इसकी पूजा न कर सके। लेकिन सावन में इस शिवलिंग की पूजा करने हजारों भक्त दूर-दूर से आते हैं।
1000 वर्ष पुराना है ये शिव मंदिर
ये अनोखा शिवलिंग खजनी कस्बे के पास सरया तिवारी नामक एक गांव में स्थापित है, जिसे झारखंडी शिव भी कहा जाता है। मान्यता है कि ये शिवलिंग 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है और यहां पर ये खुद प्रकट हुआ था। लोग मान्यता है कि शिव के इस दरबार में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
क्यों खुदवा दिया कलमा
ये शिवलिंग सिर्फ हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि मुस्लिमों के लिए भी उतना ही पूज्यनीय है। इस पर उर्दू में 'लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह' लिखा हुआ है। उन्होंने बताया कि जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया तो देश के सभी मंदिरों को लूटकर तबाह कर दिया। जब वो इस गांव में आया तो उसकी सेना ने इस शिवलिंग को भी उखाड़ फेंकना चाहा। महमूद गज़नवी और उसकी सेना जब ऐसा नहीं कर पाई, तो उसने शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया जाए ताकि कोई हिंदू इसकी पूजा न कर सके।
खुले आसमान के नीचे यहां विराजमान हैं महादेव
लोक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर पर काफी कोशिश करने के बाद भी कभी छत नहीं बन पाई। ये शिवलिंग आज भी खुले आसमान के नीचे बसा है। मान्यता है कि इस मंदिर के बगल में स्थित पोखरे में नहाने से कुष्ठ रोग से पीड़ित राजा ठीक हो गए थे। तभी से चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिए लोग यहां पर पांच मंगलवार और रविवार स्नान करते हैं और रोगों से निजात पाते हैं।
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