Chanakya Niti: घर को स्वर्ग बनाती है ऐसी स्त्री, चाणक्य के अनुसार जानिए कौन से हैं वो 4 गुण
punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 12:50 PM (IST)

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Chankya Niti: आचार्य चाणक्य ने पारिवारिक जीवन और व्यक्तिगत संबंधों को लेकर भी गहन विचार प्रस्तुत किए। उनकी रचनाओं में चाणक्य नीति विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने जीवन के हर पहलू को सरल लेकिन प्रभावशाली ढंग से समझाया है। स्त्री का स्थान भी उनके नीति-सिद्धांतों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। चाणक्य मानते थे कि स्त्री के गुण न केवल उसके स्वयं के जीवन को आकार देते हैं, बल्कि वह परिवार, समाज और राष्ट्र की भी दिशा तय करती है। उन्होंने कुछ ऐसे विशेष गुणों का उल्लेख किया है जो यदि किसी स्त्री में हों, तो वह घर को स्वर्ग बना सकती है। ऐसे गुणों वाली स्त्री से विवाह करना सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। आइए जानते हैं कौन से हैं वे चार गुण जिन्हें आचार्य चाणक्य ने स्त्री के लिए वरदान स्वरूप माना है।
मर्यादा और चरित्र की स्थिरता
चाणक्य नीति में सबसे पहले जिस गुण का उल्लेख आता है, वह है चरित्र की पवित्रता और मर्यादा का पालन। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री का चरित्र और उसका पतिव्रत धर्म कभी छिपा नहीं रहता। यदि स्त्री मर्यादित और चरित्रवान है, तो वह न केवल पति के जीवन को संवारती है, बल्कि संतान को भी संस्कारवान बनाती है। ऐसी स्त्री घर की आत्मा होती है, जिसके कारण परिवार में स्थिरता और सम्मान बना रहता है।
बुद्धिमत्ता और विवेकशीलता
चाणक्य ने स्त्री की बुद्धिमत्ता और विवेक को अत्यंत महत्वपूर्ण माना है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि स्त्री केवल सौंदर्य से नहीं, बल्कि अपनी सूझबूझ से परिवार को उन्नति की ओर ले जाती है। बुद्धिमान स्त्री हर परिस्थिति का मूल्यांकन सही दृष्टिकोण से करती है और कठिन समय में परिवार को टूटने से बचा लेती है। जिसके पास न बुद्धि है, न शिक्षा, न शील, और न ही विवेक वह न स्त्री कहलाने योग्य है और न ही पुरुष उसके योग्य। इसका आशय यह है कि विवेकशील स्त्री ही वास्तव में एक सफल गृहस्थ जीवन की आधारशिला है।
सेवा और समर्पण की भावना
एक स्त्री का सबसे सुंदर गुण होता है सेवा और समर्पण। चाणक्य के अनुसार, यदि स्त्री में सेवा भाव है, तो वह अपने परिवार के प्रति पूरी तरह समर्पित रहती है। वह अपने पति, बच्चों और बड़ों की सेवा में कभी पीछे नहीं हटती। उसकी इसी भावना से परिवार में प्रेम, सम्मान और विश्वास बना रहता है। चाणक्य यह भी कहते हैं कि यदि पत्नी-पति के दुख में सहभागी न हो, तो वह जीवन साथी कहलाने योग्य नहीं होती। समर्पण का अर्थ केवल शारीरिक नहीं होता, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर भी होता है। जब स्त्री अपने परिवार की भलाई को प्राथमिकता देती है, तब घर सचमुच स्वर्ग बन जाता है।
धैर्य और सहनशीलता
चाणक्य नीति में चौथा और सबसे गहन गुण है धैर्य और सहनशीलता। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन जो स्त्री इन परिस्थितियों में धैर्य नहीं खोती, वही सच्ची गृहलक्ष्मी कहलाती है। चाणक्य कहते हैं कि जो स्त्री क्रोध को नियंत्रित कर ले, वह किसी भी परिवार को टूटने से बचा सकती है। धैर्यवान स्त्री दूसरों की गलतियों को माफ कर आगे बढ़ने में विश्वास रखती है। वह समस्याओं को लड़ाई का कारण नहीं बनाती, बल्कि समाधान का रास्ता खोजती है। यही सहनशीलता उसे समाज में विशेष स्थान दिलाती है।