Shani Jayanti: ये है शनि पूजा करने का सही, सटीक और शास्त्रीय विधान
punjabkesari.in Friday, May 31, 2024 - 07:09 AM (IST)

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Shani Amavasya 2024: शनि का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर हुआ है। सभी 9 ग्रहों में न्यायाधीश कर्मफल प्रदाता शनि की जयंती इस बार 6 जून, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। शनि जयंती हिंदू पंचांग के ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव की खास पूजा करने का विधान है। शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया आदि से पीड़ित जातकों के लिए इस दिन का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। दंडाधिकारी और न्यायप्रिय शनि अपनी दृष्टि से राजा को भी रंक बना सकते हैं और रंक को राजा।
Method of worship of Shani Dev शनिदेव की पूजा विधि
सामान्यत: हम लोग शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करते हैं। यह पूजा कल्याणप्रद और शनि की कुदृष्टि से हमें बचाती है। शनि जयंती के दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। सर्वप्रथम स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनि की प्रतिमा या फोटो या सुपारी रखें। इसके बाद उसके दोनों ओर शुद्ध तेल का दीप तथा धूप जलाएं।
इस शनि देव के प्रतीक रूप प्रतिमा अथवा सुपारी को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराकर उनको इमरती और तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य चढ़ाने से पहले उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल और फिर नैवेद्य, फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करें। इस पंचोपचार पूजा के बाद इस मंत्र का जप कम से कम एक माला जरूर करना चाहिए :
प्रां प्रीं प्रौ स: शनये नम:॥
अथवा
शं शनैश्चराय नम:।
पश्चात शनि आरती करके उनको साष्टांग नमन करें। शनि देव की पूजा करने के बाद अपने सामर्थयानुसार दान दें। इस दिन पूजा-पाठ करके काला कपड़ा, काली उड़द दाल, छाता, जूता, लोहे की वस्तु का दान करने तथा जरूरतमंद व नि:शक्त लोगों को मनोनुकूल भोजन कराने से शनि देव प्रसन्न होकर कष्ट दूर कर देते हैं।
Benefits of worshiping Shani Dev शनि देव की पूजा से लाभ
मानसिक संताप दूर होता है। घर गृहस्थी में शांति बनी रहती है। आर्थिक समृद्धि के रास्ते खुल जाते है। रुका हुआ काम पूरा हो जाता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। आलस्य दूर होता है।