Sarva Pitru Amavasya: सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें किस तरह करें पितरों की विदाई
punjabkesari.in Friday, Oct 13, 2023 - 07:12 AM (IST)
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Sarva Pitru Amavasya: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा जाता है। हिंदू धर्म में वैसे तो हर अमावस्या बहुत ही खास होती है लेकिन पितृ पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इसे विसर्जनी अमावस्या और मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहते हैं। पितृऋण से मुक्ति पाने के लिए ये दिन बहुत ही खास होता है। इस अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन अमावस्या के दिन हुआ हो या फिर मृत व्यक्ति की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो।
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बता दें कि वर्ष 2023 में सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार के दिन है। पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन बहुत से शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार इन योगों में श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति तो मिलती ही है साथ ही परिवार में भी सुख-शांति कायम रहती है। तो चलिए जानते हैं, सर्वपितृ अमावस्या के दिन कौन से शुभ योगों का निर्माण हो रहा है।
Sarva Pitru Amavasya: सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें किस तरह करें पितरों की विदाई
Rare coincidence on Sarvpitri Amavasya सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ संयोग
पंचांग के अनुसार 14 अक्टूबर को पितृ पक्ष की अमावस्या पड़ रही है। बता दें कि इस बार की अमावस्या बहुत ही खास होने वाली है क्योंकि इस दिन बहुत से शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। शनिवार होने की वजह से इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाएगा। वहीं अमावस्या के दिन ही साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। इस दिन शुभ इंद्र योग भी बन रहा है। इन समय के दौरान पितरों का तर्पण कर उनका खास आशीर्वाद पाया जा सकता है।
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Aise karen pitro ki vidai ऐसे करें पितरों की विदाई
इस दिन प्रात:काल स्नान के बाद गायत्री मंत्र का उच्चारण करते समय सूर्य देव को जल अर्पित करें।
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कहते हैं पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है। इस वजह से अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल जरूर चढ़ाएं।
अमावस्या के दिन काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करें। मान्यताओं के अनुसार जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है। ऐसा करने से घर में पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।
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पितृ मंत्र
ॐ पितृ दैवतायै नमः।
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
ॐ देवताभ्यः: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
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