अजब गजब: मां संतोषी के सिर पर है शेषनाग की छाया

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2019 - 03:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म के अनुसार शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी के पूजन का दिन माना जाता है और इसके साथ ही इस दिन मां संतोषी को भी पूजा जाता है। बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। कहते हैं कि माता को प्रसन्न करने के लिए ही ये व्रत किया जाता है। आज भी कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और माता से मनचाहा वर पाते हैं। बता दें कि हमारे देश में मां सतोषी के ऐसे बहुत से मंदिर है, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। चलिए आज हम आपको बताते हैं मां एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में।  
PunjabKesari
राजस्थान के जोधपुर में संतोषी माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि माता यहां साक्षात निवास करती हैं और उनके दर्शन करने आए श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती हैं। ये मंदिर प्रगट संतोषी माता मंदिर के नाम से विख्यात है और इस मंदिर को देखकर ऐसा लगता है जैसे मुख्य गर्भगृह की चट्टानें शेषनाग की भांति माता की मूर्ति पर छाया कर रही हों। यहां माता को लाल सागर वाली मैय्या और संतोषी मैय्या के रूप में लोग पूजते हैं, क्योंकि पहाड़ों के बीच लाल सागर नाम का एक सरोवर है। मंदिर के आस-पास काफी हरियाली है जहां नीम, पीपल, वट वृक्ष और अन्य कई भांति-भांति के वृक्ष हैं। इसी पहाड़ी के अंदर ऊपरी भाग में प्राकृतिक मातेश्वरी और सिंह का पदचिह्न बना हुआ है। मंदिर के पास ही एक अमृत कुण्ड है, जिसके ऊपर कई वर्षों से एक ही आकार में हरा भरा वट वृक्ष है। 
PunjabKesari
जोधपुर के मंडोर रोड कृषि मंडी के पीछे स्थित इस मंदिर के आसपास लाल रंग की चट्टानें हैं जिन पर सूर्य की किरणें पड़ने से पूरा क्षेत्र लाल रंग की आभा से ऐसे लगता है जैसे माता चुनर फैलाकर इस क्षेत्र में बैठी हों। नवरात्रि के दौरान भक्तों का तांता यहां लगा ही रहता है। मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्जवलित रहती है और हवन और कीर्तन चलता रहता है। राजस्थान सहित आसपास के राज्यों से लोग माता के दर्शनों के लिए और अपनी मनोकामना लिए आते हैं। वहां के लोगों का कहना है कि माता अपने भक्तों को कभी खाली हाथ नहीं लौटाती हैं।
PunjabKesari
मंदिर के खुलने का समय सर्दियों में सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक है, जबकि गर्मियों में सुबह 6 बजे से रात को 9 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में ही धर्मशाला है जहां केवल परिवार सहित आने वाले भक्तों को ठहरने की नि:शुल्क सुविधा मिलती है। उन्होंने बताया कि मंदिर विकास के लिए किसी तरह का कोई चंदा नहीं लिया जाता है और न ही माता की चौकी लगाई जाती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Lata

Recommended News

Related News