Religious Katha: भगवान की भक्ति में रहना चाहते हैं लीन तो इस चीज से बना लें दूरी

punjabkesari.in Sunday, Feb 25, 2024 - 07:51 AM (IST)

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Religious Katha: एक झोंपड़ी में एक विरक्त संत रहते थे। सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करते तथा भगवान के ध्यान में मग्न हो जाते। धर्मशास्त्रों का स्वाध्याय करते तथा आगंतुक भक्तों को प्रभु भक्ति एवं सेवा-परोपकार की प्रेरणा देते। एक दिन वह ध्यान में बैठे हुए थे। आंखें खुलीं कि सामने कुछ धन रखा दिखाई दिया। कोई दर्शनार्थी उनके चरणों में धन रखकर चला गया था। उन्होंने धन देखा तो उनके मन में धन के उपयोग के बारे में तरह-तरह के प्रश्न उठने लगे। इस धन को किसी जरूरतमंद को दे दें। फिर मन में आया धन से भंडारा कर दें। फिर सोचा गरीबों को कपड़े खरीदवा दें।

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उन्होंने जीवन में कभी धन को छुआ नहीं था। इस धन ने उन्हें धन के उपयोग के बारे में सोचने को विवश कर दिया।

संत उठे तथा कुछ दूर दूसरी कुटिया में रहने वाले एक अन्य संत के पास पहुंचे।

उन्होंने पूछा, “महाराज कोई भक्त धन रख गया है, उसका उपयोग किस कार्य में किया जाए ?”

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संत जी ने कहा, “स्वामी जी, धन को आपने छुआ भी नहीं फिर भी, जिस हृदय में आप भगवान की उपस्थिति का अहसास करते थे, उसमें एक थोड़े से धन ने हलचल मचा डाली।

मेरा कहा मानें, धन पर गोबर डाल दें तथा सूख जाने पर गोबर समेत उसे उठाकर पास की नदी में फैंक दें।”

संत ने ऐसा ही किया। अब उनका हृदय पूर्ववत भगवान के चिंतन में लग गया था।

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Content Editor

Prachi Sharma

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