इस कथा में पढ़ें, भगवान शिव ने अपनी ही अर्धांगिनी को क्यों दिया विधवा होने का श्राप !

punjabkesari.in Tuesday, Jul 09, 2024 - 12:05 PM (IST)

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शास्त्रों में भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़ी कुछ सी कथाएं प्रचलित हैं। इन्ही में से एक कथा ये भी है जब मां पार्वती  पति भगवान शिव ने ही उन्हें विधवा होने का  श्राप दे दिया था। तो चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में विस्तार से-

पौराणिक किंवदंतियों के अनुसार रसोई घर में आकर भगवान शिव के किसी गण के आकर गलती से खाना खराब कर दिया लेकिन ममता की मूरत मां पार्वती  ने उस पर दया दिखाई और माफ़ कर दिया। उसी समय श्री हरि भी कैलाश भ्रमण करने आये हुए थे। 

PunjabKesari Bhagwan Shiv Katha

जब भगवान विष्णु को इस घटना के बारे में पता लगा तब उन्होंने भगवान शिव के कहा कि यदि वे सबके ऊपर ऐसे ही दया करती रहीं तो न्याय और अन्याय में फरक नहीं रह जाएगा। कर्त्तव्य के ऊपर ममता का भारी पड़ना बहुत गलत है। ऐसा इस वजह से क्योंकि वे संसार की माता हैं यदि वे ऐसा करेंगी तो दुनियां का संतुलन खराब हो जाएगा। 

माता को उनकी गलती का एहसास कराने के लिए भगवान विष्णु और शिव ने युक्ति बनाई। भोजन का समय हो चुका था और मां को बहुत तेज भूख लगी थी लेकिन मां कभी भी भगवान शिव से पहले भोजन ग्रहण नहीं करती थीं। तभी भगवान विष्णु ने भोजन का आग्रह किया। देवों के देव महादेव को पता था कि माता कभी भी उनसे पहले भोजन नहीं करती हैं। इसलिए वे धीरे-धीरे भोजन करने लग गए। मां पार्वती की भूख इतनी बढ़ गई की उनसे सहन न हुई और उन्होंने चुपके से भोजन कर लिया । 

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भगवान शिव को जब ये पता चला वो बहुत गुस्सा हो गए और क्रोध में उन्होंने अपनी ही पत्नी को विधवा होने का श्राप दे दिया। दुनियां के सामने चाहे ये एक श्राप था लेकिन वास्तव में ये उनकी एक लीला थी। इसके बाद से ही मां पार्वती का स्वरूप क्रोधी और कठोर हो गया। मां के इस रूप को माता धूमावती के नाम से जाना जाता है। तब से ही देवी सती के धूमावती रूप को एक विधवा देवी के रूप में पूजा जाने लगा।
 

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Content Editor

Prachi Sharma

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