Religious Katha: ‘आत्मा’ की खोज में हैं तो अवश्य पढ़ें ये कथा
punjabkesari.in Thursday, May 13, 2021 - 09:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Religious Context: एक बुढिय़ा की सूई उसकी झोंपड़ी के अंदर खो गई झोंपड़ी में अंधेरा था। बुढिय़ा के पास न दीया, न बाती, क्या करती? कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह बाहर आई और झोंपड़ी के बाहर मिट्टी में सूई ढूंढने लगी। एक सज्जन पुरुष वहां से निकले तो पूछा, ‘‘माता जी, मिट्टी में क्या ढूंढ रही हो?’’
बुढिय़ा ने कहा, ‘‘झोंपड़ी के अंदर सूई गुम हो गई, उसे ढूंढ रही हूं।’’
सज्जन बोले, ‘‘यदि आपकी सूई झोंपड़ी में खोई है तो अंदर जाकर ढूंढो।’’ परंतु बुढिय़ा ने उनकी बात अनसुनी कर दी। थोड़े समय बाद एक और भद्र पुरुष वहां से गुजरे। उन्होंने भी यही प्रश्र पूछा तो बुढिय़ा बोली, ‘‘बेटा मेरी सूई झोंपड़ी के अंदर खो गई है, उसे यहां ढूंढ रही हूं।’’
भद्र पुरुष बोले, ‘‘अंदर गुम हुई है तो अंदर जाकर ढूंढो।’’
बुढिय़ा बोली, ‘‘अंदर अंधकार है, कैसे ढूंढूं?’’
भद्र पुरुष ने कहा, ‘‘दीया जलाओ।’’ इतना कह कर वह अपनी राह चले गए। बुढिय़ा के पास दीपक और तेल कुछ भी नहीं था। इसलिए वहीं सूई ढूंढती रही, जहां वह थी ही नहीं।
थोड़ी देर में एक महात्मा जी उधर आए। बुढिय़ा को इस प्रकार रास्ते की मिट्टी में कुछ ढूंढते देखकर रुके तथा कारण पूछा। बुढिय़ा ने बताया कि झोंपड़ी के भीतर सूई गुम हो गई है। यह पूछने पर कि अंदर क्यों नहीं ढूंढती तो उसने बताया कि अंदर अंधकार है और उसके पास न दीपक है न तेल है। महात्मा जी सारी बात समझ गए।
वह वहां से चले गए तथा थोड़ी देर में लौट आए। उनके हाथ में तेल, दीया, बाती तथा दियासलाई थी। उन्होंने इस सामग्री से दीपक जलाया तथा माई को अंदर लाकर कहा कि अब ढूंढो। बुढिय़ा ने झोंपड़ी के अंदर सूई ढूंढने के लिए थोड़ा सा प्रयत्न किया तथा सूई मिल गई।
वास्तव में हम सबकी सूई रूपी आत्मा हमारे शरीर रूपी झोंपड़ी के भीतर गुम हो गई है। हम उसे बाहर ढूंढते हुए रास्ते की खाक छानते फिरते हैं। उसे ढूंढने के लिए अपने ही भीतर झांकने की जरूरत है।