Chapekar Brothers: पढ़े, चाफेकर बंधुओं की मां का अद्वितीय साहस और धैर्य की कहानी

punjabkesari.in Friday, May 09, 2025 - 01:04 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Chapekar Brothers: एक बार पूना में प्लेग रोग फैल गया। उसके निवारण का बहाना बनाकर तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने ऐसे कड़े कदम उठाए कि जनता त्राहि-त्राहि कर उठी। मि. रेंड नामक एक अंग्रेज अधिकारी लोगों का अपमान और अत्याचार करने में सबसे आगे था। महान क्रांतिकारी दामोदर चाफेकर बंधुओं ने अंग्रेजों के अत्याचारों का बदला लेने का निश्चय किया और मि. रेंड को दिन-दहाड़े गोलियों से भून डाला।

PunjabKesari Chapekar Brothers

मुकदमे के बाद तीनों को फांसी की सजा सुना दी गई। इस घटना से देश में उनकी मां के प्रति बहुत गहरी सहानुभूति उमड़ी। फांसी के बाद स्वामी विवेकानंद की प्रमुख शिष्या सिस्टर निवेदिता उनकी मां को सांत्वना देने के विचार से पुणे पहुंचीं। उनका अनुमान था कि चाफेकर बंधुओं की मां बहुत दुखी होंगी। तीनों पुत्र शहीद हो गए थे। बुढ़ापे की लाठी टूट गई थी। किंतु जब सिस्टर निवेदिता उनके मकान पर पहुंची तो उनके स्वागत में वह हाथ जोड़कर सामने खड़ी मिली।

PunjabKesari Chapekar Brothers

उस वीरमाता के धैर्य को देखकर सिस्टर की आंखें भर आईं। मां ने सिस्टर निवेदिता से सादर कहा, “सिस्टर, आप तपस्विनी हैं। आपने तो संसार की मोह-माया त्याग दी है, फिर आपकी आंखों में ये मोह के आंसू क्यों?

आप विश्वास रखें, मुझे तो गौरव है कि मेरे तीनों बेटे देश के लिए बलिदान हुए। दुख है तो केवल इतना कि मेरी और कोई संतान नहीं है, जिसे मैं देश को दे सकूं।”

इतना कहते-कहते उसकी आंखें लाल हो उठीं। मुट्ठियां बंध गईं। सिस्टर निवेदिता से न रहा गया। वह उसके चरणों में झुककर रुंधे गले से बोलीं, “धन्य हो मां! जब तक किसी देश में ऐसी माताएं हैं, तब तक उसका कोई भी अहित नहीं कर सकता।”

PunjabKesari Chapekar Brothers

 

 
















 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Sarita Thapa

Related News