Ramayana: मुगलों की रामायण में थी खास दिलचस्पी, सम्राट अकबर की मां भी करती थी पाठ
punjabkesari.in Saturday, Feb 17, 2024 - 08:14 AM (IST)
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जालंधर (इंट): प्रसिद्ध मुगल सम्राट हुमायूं की दूसरी बेगम और तीसरे मुगल सम्राट अकबर की मां हमीदा बानो बेगम रामायण का पाठ करती थीं। इतिहासकारों के मुताबिक इसके लिए सम्राट अकबर ने चित्रों के साथ 450 पन्नों में रामायण संस्कृति का फारसी में अनुवाद कराया था। माना जाता है कि इसे लाहौर में कलाकारों के एक छोटे समूह ने मिलकर बनाया था। वर्तमान में इसकी कॉपी कतर की राजधानी दोहा के इस्लामिक कला संग्रहालय में रखी हुई है। इससे यह साबित हो जाता है कि रामायण एक ग्रंथ के तौर पर सिर्फ हिन्दू धर्म का प्रिय महाकाव्य नहीं है, बल्कि इसे कई और धार्मिक संस्कृतियों और भाषाओं में अहमियत दी गई है। इससे पता चलता है कि कैसे मुगलों को रामायण और शासन करने के दैवीय अधिकार की धारणाओं में दिलचस्पी थी।
माता सीता के धैर्य से प्रभावित: महाकाव्य में हमीदा बानो की विशेष रुचि उल्लेखनीय है, और कहा जाता है कि वह माता सीता द्वारा दिखाए गए धैर्य और कठिनाई से काफी प्रभावित थीं। मुगल दरबार के लिए विशेष रुचि का विषय रामायण रहा। ‘दोहा रामायण’ 16वीं सदी के उत्तर भारत की भाषा, कला और साहित्य की झलक है। इस रामायण में 56 बड़े चित्र थे। इसकी शुरुआत एक खूबसूरत फूल और सोने के नाजुक चित्रों से सजी हुई है। वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना कैसे की इसकी एक फ्रेमिंग है। पांडुलिपि के बाहरी किनारों को काट दिया गया है। 1990 के दशक तक लगभग अज्ञात यह रामायण मुगल-प्रायोजित संस्कृत ग्रंथों के इतिहास में एक मील का पत्थर है।
कतर के शाही शेख ने खरीदी थी रामायण : सन 2000 में कतर के शाही शख्स शेख सऊद अल थानी के इसे खरीदने से पहले हामिदा बानो की रामायण कई हाथों से गुजरी। उन्होंने इससे अलग किए गए अधिकांश चित्रों को भी प्राप्त किया ताकि इसे लगभग पूरा फिर से बनाया जा सके। अकबर के शासनकाल में रामायण के अलावा महाभारत का फारसी में अनुवाद किया गया। अनुवाद में राम तो राम ही रहते हैं, लेकिन दशरथ जसवंत बन जाते हैं। अगस्त्य का नाम बदल जाता है। अशोक वाटिका को महल के मंडप के रूप में दिखाया गया है और लाल झालरों वाले गहने कलाकार की अपनी रचनात्मकता दर्शाते हैं। चित्र राम के दिव्य राज पर जोर देते हैं।