Ramal Jyotish की सहायता से भगवान शिव ने पाया था अपना प्यार

punjabkesari.in Saturday, May 02, 2020 - 06:07 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ramal Jyotish: रमल ज्योतिष नाम आते ही बाबू देवकीनंदन खत्री के उपन्यास चंद्रकांता की याद तुरंत आ जाती है, जिसमे पंडित जगन्नाथ की भूमिका, जो कि अपने राजा शिवदत्त के प्रश्नों के उत्तर पांसों को अपनी पट्टिका पर फेंक कर कुछ गणित करता है और तुरंत उत्तर दे देता है l

PunjabKesari Ramal Jyotish

कहते है सिकंदर विश्व जीतने के सपने को लेकर जब निकला तो हर जगह के विद्वानों का वह सम्मान जरुर करता था l साथ ही जिस विद्वान से वह प्रभावित होता उसको अपने साथ भी रखता था l ऐसे में ईरानी रमलाचार्य सुर्खाव को भी उसने अपने साथ ले लिया l अपनी सभी समस्याओं का हल वह सुर्खाव से प्राप्त करता था l सुर्खाव भी पांसों के द्वारा सिकंदर के प्रत्येक पश्नों का उत्तर दिया करता था l सुर्खाव के विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ का नाम रमल सुर्खाव है l  

पांसों द्वारा प्राप्त ईश्वरीय संकेतों को समझकर उत्तर देने की कला या विज्ञान का नाम है रमल ज्योतिष l भारत में प्राचीन काल से इस विद्या का प्रचलन रहा है l महाभारत में जिस मय दानव का वर्णन आता है वह भी रमल विद्या का बहुत ही बड़ा विद्वान् था l

PunjabKesari Ramal Jyotish

भारत में रमल की व्युत्पत्ति से सम्बन्धित लगभग सभी कथाओं में भगवान शिव का उल्लेख ज़रूर आता है। इसी संदर्भ में सबसे प्रचलित कथा निम्र प्रकार से है:-
एक बार महादेव व महाशक्ति कैलाश शिखर पर मनोविनोद हेतु भांति-भांति के खेल खेलने में मग्न थे। तभी महाशक्ति मां पार्वती खेल-खेल में ही अचानक अंतर्ध्यान (अदृश्य) हो गईं। भगवती को इस प्रकार अदृश्य देखकर श्री सदाशिव अत्यन्त व्याकुल हो गये।

माहेश्वर महाशक्ति को सहस्त्रों वर्षों तक ढूंढ़ते रहे परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली। विशाद व व्याकुलता की उस स्थिति में महाशक्ति के मानसपुत्र, महाभैरव जो भगवान सदाशिव के ही अंश रूप हैं, प्रकट हुए और पृथ्वी पर चार अंगुलियों से चार बिंदू बना दिये। श्री सदाशिव, महाभैरव के द्वारा बनाये इन चार बिंदूओं का भेद समझ नहीं पाये।

PunjabKesari Ramal Jyotish

श्री सदाशिव की दुविधा को समझ महाभैरव ने पहले बनाये चार बिंदूओं के समीप अन्य चार बिंदूओं की अपने हाथ की चार अंगुलियों से रचना की और श्री सदाशिव से निवेदन किया कि वह अपनी मनोभिलाषा को इन चिन्हों के भीतर ढूंढे। श्री सदाशिव ने बिंदूओं के गूढ़ रहस्य को समझा और महाशक्ति को तारा सुन्दरी के रूप में सातवें आकाश में स्थित पाया।

तत्पश्चात् श्री सदाशिव ने सातवें आकाश में पहुंच महाशक्ति को प्राप्त कर लिया। इस प्रकार चिन्ह विद्या अर्थात रमल विद्या का सर्वप्रथम प्रकटीकरण मां भगवती के मानस पुत्र महाभैरव द्वारा हुआ और भगवान सदाशिव ने इसका सर्वप्रथम लाभ उठाया। अन्यत्र पुस्तकों में कही-कहीं महाभैरव को शिव का ही रूप बताया है।

PunjabKesari Ramal Jyotish

इसी प्रकार रमल रहस्य ग्रन्थ में उपरोक्त कथा के अलावा भगवान शिव के द्वारा इस विद्या को मां पार्वती जी को बताने का वर्णन भी अनेक जगहों पर आया है l जिसके अनुसार मां पार्वती जी ने इस विद्या को लिपिबद्ध किया और कालांतर में किसी गरीब शिवभक्त को उसकी आजीविका हेतु वरदान में दे दिया जिससे भूलोक में इस विद्या का अवतरण हुआ l

रमल ज्योतिष में एक विशेष दिन अष्टधातु के पांसों का निर्माण किया जाता है और विशेष मन्त्र के द्वारा उसे अभिमंत्रित किया जाता है l उसके बाद प्रश्नकर्ता के प्रश्न करने के उपरांत रमल पांसों को पट्टिका पर फेंक कर उससे सोलह खानों या घरों की प्रश्न कुंडली का निर्माण होता है l जिसके द्वारा रमलज्ञ किसी भी प्रश्न का उत्तर आसानी से दे देता है l

रमल आचार्य अनुपम जौली
www.astrologyrays.com


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News