Shrikhand Mahadev: भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव ने लिया था श्रीखंड कैलाश में शरण, जानें इसकी रहस्यमय कथा
punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 12:07 PM (IST)

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Shrikhand Mahadev: श्रीखंड महादेव धाम को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है और इसे पंच कैलाश में से एक माना जाता है। यह स्थान हिमाचल प्रदेश के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित है, जहां हर साल जुलाई के महीने में श्रद्धालु कठिन यात्रा कर भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचते हैं। यह यात्रा श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित की जाती है और इसमें भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं को पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। इसके अलावा, सभी यात्रियों को मेडिकल जांच भी अनिवार्य रूप से करानी होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे इस कठिन यात्रा को शारीरिक रूप से सहने में सक्षम हैं। यह यात्रा अत्यंत कठिन मानी जाती है और इसे भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण तीर्थ यात्राओं में गिना जाता है। यात्रा के दौरान भक्तों को ऊंचे-ऊंचे पहाड़, बर्फ से ढके रास्ते और अत्यधिक ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन जैसी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
श्रीखंड महादेव यात्रा
श्रीखंड महादेव यात्रा को भारत की सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक माना जाता है। यह यात्रा आमतौर पर बरसात के मौसम में शुरू होती है, जिससे रास्ते और भी चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं। तीर्थयात्रियों को इस दौरान न केवल ऊबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से गुजरना पड़ता है, बल्कि कई स्थानों पर तेज बहाव वाले प्राकृतिक झरनों को भी पार करना होता है। जैसे-जैसे श्रद्धालु ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं, वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है। इसके अलावा, यात्रियों को बर्फ से ढके खतरनाक रास्तों से होकर भी गुजरना पड़ता है, जो यात्रा को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देता है। जहां अमरनाथ यात्रा लगभग 14,000 फीट की ऊंचाई तक होती है, वहीं श्रीखंड महादेव की चोटी समुद्र तल से करीब 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पवित्र स्थान तक पहुँचने के लिए भक्तों को लगभग 35 किलोमीटर की लंबी और कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
हालांकि, यह यात्रा जितनी कठिन होती है, श्रीखंड महादेव के दर्शन उतने ही दिव्य और भावविभोर करने वाले माने जाते हैं। जो श्रद्धालु इस यात्रा को पूरी श्रद्धा और साहस से पूरा करते हैं, उन्हें अंत में एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
श्रीखंड महादेव से जुड़ी पौराणिक कथा
श्रीखंड महादेव से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा बहुत ही रोचक और शिक्षाप्रद मानी जाती है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक असुर था जिसका नाम था भस्मासुर। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा।
भस्मासुर ने ऐसा वरदान मांगा कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखे, वह तुरंत भस्म हो जाए। यह शक्ति उसने देवताओं को पराजित करने की मंशा से माँगी थी। लेकिन जैसे ही उसे यह शक्ति मिली, वह अहंकारी बन गया और खुद को भगवान से भी ऊपर समझने लगा। उसके अहंकार ने इतनी हद पार कर दी कि उसने उसी शक्ति से भगवान शिव को ही नष्ट करने का प्रयास किया और उनका पीछा करने लगा।
भगवान शिव संकट में पड़ गए और सहायता के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया, जिसे कुछ कथाओं में "मोहिनी" कहा गया है। इस रूप में विष्णु जी ने भस्मासुर को आकर्षित किया और उसे नृत्य करने की चुनौती दी। नृत्य के दौरान चतुराई से उन्होंने ऐसे भाव किए कि भस्मासुर ने भी उनकी नकल करते हुए अपने ही सिर पर हाथ रख दिया। जैसे ही उसने ऐसा किया, वह खुद उसी शक्ति से भस्म हो गया।
मान्यता है कि यह घटना श्रीखंड महादेव क्षेत्र में ही घटी थी। कहा जाता है कि आज भी उस स्थान की मिट्टी और जल का रंग थोड़ा लालिमा लिए होता है, जो भस्मासुर के अंत की याद दिलाता है।
यह कथा न केवल श्रीखंड महादेव की महिमा को उजागर करती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि अहंकार में आकर मिली हुई शक्ति का दुरुपयोग अंततः विनाश का कारण बनता है। भगवान शिव की इस कथा से यह भी स्पष्ट होता है कि जब भी भक्त संकट में होते हैं, तो भगवान विष्णु अवश्य सहायता के लिए आते हैं।
नैन सरोवर से जुड़ा रहस्य
श्रीखंड महादेव की यात्रा के मार्ग में एक पवित्र स्थल आता है जिसे नैन सरोवर कहा जाता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व रखता है। मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए श्रीखंड की पहाड़ियों में जाकर गहन तप में लीन हो गए थे, तब देवी पार्वती उनसे बिछड़ जाने के कारण अत्यंत दुखी हो गई थीं।
उनकी आंखों से बहते आंसुओं से ही यह सुंदर सरोवर अस्तित्व में आया। इसी कारण इस जलाशय को ‘नैन सरोवर’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है आंखों का सरोवर। यह आस्था और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह स्थल श्रीखंड महादेव की चोटी से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और दर्शन के मार्ग में एक प्रमुख पड़ाव है।