...तो ऐसे शुरू हुई शव यात्रा के पीछे राम नाम सत्य है बोलने की परम्परा, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Saturday, Jun 14, 2025 - 06:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ram Nama Satya Hai: शव यात्रा के पीछे ‘श्री राम नाम सत्य है’ बोला जाता है। जानते हैं क्यों? इसके पीछे एक बहुत ही सच्ची घटना निहित है। गोस्वामी तुलसीदास जी हमेशा प्रभु श्री राम की भक्ति में लीन रहते थे। तभी तो उनके घर वालों और गांव वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया, जिसके बाद वह गंगा मैया के तट पर प्रभु की भक्ति करने लगे।

PunjabKesari Ram Nama Satya Hai
जब तुलसीदास रामचरित मानस की रचना कर रहे थे तो उनके गांव में एक लड़के का विवाह हुआ। जिस दिन वह अपनी दुल्हन को लेकर अपने घर आया, उसी रात किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो गई।

सुबह होने पर सब लोग उसकी अर्थी  श्मशानघाट ले जाने लगे तो नवविवाहिता भी सती होने की इच्छा से अर्थी के पीछे-पीछे जाने लगी। लोग उसी रास्ते से जा रहे थे जिस रास्ते में तुलसीदास जी की कुटिया पड़ती थी। नवविवाहिता की नजर तुलसीदास जी पर पड़ी तो दुल्हन ने सोचा कि अपने पति के साथ सती होने जा रही हूं, आखिरी बार इन ब्राह्मण देवता को प्रणाम कर लूं।

Ram Nama Satya Hai
विधवा दुल्हन नहीं जानती थी कि यह तुलसीदास जी हैं। जब उसने उनके चरण छूकर प्रणाम किया तो उन्होंने उसे आशीर्वाद देते हुए ‘अखंड सौभाग्यवती भव’ कह दिया। यह सुन कर शवयात्रा में शामिल लोग क्रोध में भर कर बोले, ‘‘इस लड़की का पति तो मर चुका है। यह अखंड सौभाग्यवती कैसे हो सकती है?’’

PunjabKesari Ram Nama Satya Hai
इसके बाद सब एक स्वर में  बोलने लगे, ‘‘तू  झूठा।’’

तुलसीदास जी बोले, ‘‘हम झूठे हो सकते हैं परंतु हमारे राम कभी भी झूठे नहीं हो सकते।’’

Ram Nama Satya Hai

सभी जोर-जोर से बोलने लगे, ‘‘इसका प्रमाण दो।’’

तुलसीदास जी ने अर्थी को नीचे रखवाया और उस मृत युवक के पास जाकर उसके कान में कहा, ‘‘राम नाम सत्य है।’’ युवक हिलने लगा। दूसरी बार पुन: तुलसीदास जी ने उसके कान में कहा, ‘‘राम नाम सत्य है।’’ युवक के शरीर में कुछ चेतना आई।

तुलसीदास जी ने जब तीसरी बार उसके कान में ‘राम नाम सत्य’ कहा तो वह अर्थी से उठकर बाहर आ गया।

PunjabKesari Ram Nama Satya Hai
सभी को बहुत आश्चर्य हुआ कि कोई मृत कैसे जीवित हो सकता है। सब तुलसीदास जी के चरणों में प्रणाम करके क्षमा याचना करने लगे।    

गोस्वामी तुलसीदास जी कहने लगे, अगर आप लोग इस रास्ते से नहीं गुजरते तो मेरे राम के नाम को सत्य होने का प्रमाण कैसे मिलता। यह तो उस राम की लीला है। राम से बड़ा राम का नाम।

उसी दिन से यह परम्परा शुरू हो गई - श्री राम का नाम सत्य है।    

PunjabKesari Ram Nama Satya Hai


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News