यहां लगता है भूतों का मेला, दूर-दूर से इसे देखने आते हैं लोग

punjabkesari.in Friday, Feb 08, 2019 - 03:17 PM (IST)

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आज तक आपने ऐसे मेले के बारे में सुना होगा जिसमें इंसान शामिल होते होंगे परंतु आज हम आपको एक ऐसे मेले के बाप में बताने जा रहे हैं, जहां इंसानों के साथ-साथ भूत-प्रेत भी शामिल होते हैं। जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी और बहुत से ऐसे भी लोग होंगे जिन्हें इस बात पर यकीन तक न होगा। लेकिन आपको बता दें कि आपके यकीन करने न करने से सच्चाई बदल नहीं जाएगी। क्योंकि ये सच है, बैतूल जिले से लगभग 42 कि.मी दूर चिचौली तहसील से गांव मलाजपुर में हर साल की मकर संक्रांति की पहली के दिन भूतों का मेला लगता है, जो बसंत पंचमी तक यानि पूरा एक महीना चलता है।
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कहते हैं यहां बड़ी संख्या में जबलपुर के साथ-साथ आसपास के जिलों से लोग पंहुचते हैं। ये भी कहा जाता है कि यहां मौज़ूद पेड़ों पर भूत-प्रेत का वास होता है। यहां आने वाले हर इंसान के इस अजीबो-गरीब मेले को देखकर होश उड़ जाते हैं। भूत मेला समाप्त होने के कुछ माह बाद से ही पुन: इसके लगने का इंतजार शुरू हो जाता है। बता दें कि बैतुल में बंधारा नदी किनारे पर मलाजपुर बाबा के समाधि स्थल के पास के पेड़ों की झुकी डालियां उलटे लटके भूत-प्रेत की याद को ताज़ा करती हैं। मान्यता है कि जिस व्यक्ति के शरीर में कोई प्रेत-बाधा होती है उसके शरीर के अंदर से प्रेत बाबा की समाधि के एक दो चक्कर लगने के बाद अपने आप उसके शरीर से बुरी आत्मा निकल कर एक पेड़ पर उलटा लटक जाती है। बता दें कि भूत-प्रेत बाधा निवारण के लिए गुरु साहब बाबा का मंदिर पूरे भारत में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। 
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समाधि पर जाते ही बोलने लगते हैं भूत-प्रेत जिस किसी व्यक्ति को भूत-प्रेत लगे होते हैं उसे सबसे पहले बंधारा नदी में स्नान करवाया जाता है। उसके बाद उसे गुरु साहब बाबा की समाधि पर लाया जाता है, जहां उनके यानि गुरु साहब के चरणों पर नमन करते ही पीड़ित व्यक्ति झूमने लगता है और उसके शरीर में एक अलग ही शक्ति आ जाती है।जिससे उसकी सांसे तेज़ हो जाती है और आंखे लाल होकर स्थिर हो जाती हैं। इस सब के बाद जब बाबा की पूजा प्रक्रिया प्रारंभ होती है तब प्रेत-बाधा पीड़ित व्यक्ति के मुंह से अपने आप में परिचय देती है और उसे को छोड़ देने की प्रतिज्ञा करती है। यहां के रहने वाले लोगों का दावा है कि अगर प्रेत बाधा से पीड़ित कई व्यक्ति यहां आता है तो वह निश्चित ही यहां से प्रेत मुक्त होकर जाता है।

आरती में होते हैं शामिल कुत्ते
यहां हर रोज़ शाम को होने वाली की सबसे खास बात ये है कि इसमें कुत्ते भी शामिल होते हैं और शंक, करतल ध्वनि में अपनी आवाज़ को मिलाते हैं। इसको लेकर यहां के महंतों का कहना है कि यह बाबा का आशीर्वाद है।
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मकर संक्राति के बाद पूर्णिमा पर दोबारा लगता है ये मेला
हर साल मकर संक्राति के बाद आने वाली पूर्णिमा वाले इस भूतों के मेले में आने वाले सैलानियों में देश-विदेश के लोगों की संख्या अधिक होती है। मेले का सारा आयोजन मलाजपुर की ग्राम पंचायत करती है।
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Jyoti

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