Pradosh vrat feb 2025: महाशिवरात्रि से पहले इस तारीख को पड़ रहा है फरवरी का आखिरी प्रदोष व्रत, ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

punjabkesari.in Saturday, Feb 22, 2025 - 07:06 AM (IST)

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Pradosh vrat feb 2025: प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से मंगलवार (मंगल प्रदोष), सोमवार (सोम प्रदोष), शुक्रवार (शुक्र प्रदोष) और अन्य दिनों में भी रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है और इसे विशेष रूप से प्रदोष काल (सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले का समय) में किया जाता है। प्रदोष व्रत का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करता है।

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Pradosh vrat feb 2025 Puja vidhi कब है आखिरी प्रदोष व्रत ?
25 फरवरी को दोपहर 12.47 पर फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी, जो 26 फरवरी की सुबह 11.08 बजे समाप्त होगी। 25 फरवरी की शाम को प्रदोष पूजा मुहूर्त 06.18 बजे से 08.49 बजे तक है। इसकी समय अवधि 02.30 घंटे तक रहने वाली है। 26 फरवरी की सुबह 11.08 बजे से महाशिवरात्रि का शुभ समय आरंभ होने वाला है।

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पूजा विधि (प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें):
स्नान और शुद्धता: सबसे पहले प्रदोष व्रत के दिन नहाकर शरीर को शुद्ध करें। यह पूजा में भाग लेने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।

व्रत का संकल्प लें: व्रत का संकल्प लें और संकल्प लें कि आप पूरे दिन उपवासी रहेंगे और भगवान शिव की पूजा करेंगे। अगर आप उपवासी नहीं रह सकते तो फलाहार (फल और जल) का सेवन कर सकते हैं।

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मंदिर जाएं या घर में पूजा करें: यदि संभव हो तो शिव मंदिर जाएं और भगवान शिव के रुद्राक्ष माला, बेलपत्र, दूध, जल, गंगाजल, शहद, और भांग चढ़ाएं। यदि मंदिर नहीं जा सकते, तो घर पर भी पूजा की जा सकती है। घर में भी शिवलिंग पर जल, दूध और अन्य चढ़ावा चढ़ाएं।

अर्चना और मंत्र: पूजा करते समय "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें। इस मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। इसके साथ ही, शिव महिम्न स्तोत्र या शिव पुराण के कुछ श्लोक भी पढ़ सकते हैं।

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धूप, दीप और अगरबत्ती: पूजा में दीपक जलाएं और अगरबत्ती की खुशबू से वातावरण को शुद्ध करें। यह शिव पूजा में एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि यह वातावरण को शुद्ध करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

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प्रदोष व्रत की कथा सुनें: प्रदोष व्रत की कथा सुनना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भगवान शिव और माता पार्वती के साथ अन्य देवी-देवताओं के प्रसंग होते हैं, जो व्रति को आशीर्वाद देते हैं। यदि संभव हो तो पूजा के बाद पूजा की कथा सुनें या पढ़ें।

व्रत की समाप्ति: पूजा के बाद, संकल्प और व्रत का समापन करें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करें।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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