Pitru Paksha: श्राद्ध और तर्पण में न करें ये भूल, नाराज हो जाते हैं पितृ

punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 03:23 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Do not make this mistake in Shradh and Tarpan: गरुड़ पुराण और मात्स्य पुराण के अनुसार यदि श्राद्ध में अशुद्धता, अपमान, दिखावा या भूल होती है तो पितर अतृप्त हो जाते हैं और श्राद्ध का फल नहीं मिलता। दान-दक्षिणा बिना श्रद्धा या दिखावे के भाव से करना। श्राद्ध के दिन नया वस्त्र, आभूषण या विलासी सामान पहनना। पिंडदान में गाय के दूध, तिल और चावल का प्रयोग न करना। शास्त्रों में कहा गया है, "श्राद्धे ह्यश्रद्धया यत्कृतं तन्निष्फलं भवेत्।"

अर्थात – बिना श्रद्धा के किया गया श्राद्ध निष्फल होता है।

PunjabKesari Pitru Paksha
Common mistakes made during Shraadh and Tarpan श्राद्ध और तर्पण में होने वाली सामान्य गलतियां
अशुद्धता- स्नान-ध्यान किए बिना श्राद्ध करना। श्राद्ध करने वाले का दाढ़ी-मूंछ या बाल कटवाना। पूजा स्थान, आसन और पात्र की शुद्धि न करना।

गलत दिशा में बैठना- तर्पण के समय दक्षिणाभिमुख न होना। पिंडदान या तर्पण उत्तर दिशा में अर्पित करना।

अशुद्ध सामग्री- बासी अन्न, मांस-मदिरा या दूषित भोजन का प्रयोग। कुश, तिल, जल आदि अशुद्ध या गलत तरीके से अर्पित करना।

ब्राह्मण/अतिथि की अवहेलना- श्राद्ध के लिए बुलाए गए ब्राह्मणों या अतिथियों को अनादर से बिठाना। भोजन परोसते समय अपमानजनक व्यवहार करना।

असली उद्देश्य से भटकना
श्राद्ध के दिन हंसी-मज़ाक, मनोरंजन, ताश, टीवी आदि में समय बिताना। श्राद्ध को बोझ समझ कर केवल औपचारिकता निभाना।

गलत समय पर श्राद्ध
मध्यान्ह (दोपहर) के बजाय सुबह या शाम को श्राद्ध करना। तिथि और पक्ष का ध्यान न रखना।

PunjabKesari Pitru Paksha
Keep these rules of Vastu in mind during Shradh and Tarpan श्राद्ध और तर्पण में वास्तु के इन नियमों का रखें ध्यान
दिशा –
दक्षिणमुख होकर तर्पण करें।
स्थान – आंगन/प्रांगण, शुद्ध और पवित्र जगह।
आसन – कुश आसन का प्रयोग।
दान/भोजन – ब्राह्मणों को पूर्व या उत्तर दिशा से परोसें।
काल – मध्यान्ह समय सबसे श्रेष्ठ।

PunjabKesari Pitru Paksha
Ways to avoid mistakes in Shraadh and Tarpan श्राद्ध और तर्पण की गलतियों से बचने के उपाय
श्राद्ध से एक दिन पहले ही आवश्यक सामग्री शुद्ध कर लें। पूरे दिन सादगी रखें, तामसिक भोजन वर्जित करें। ब्राह्मण/अतिथि को आदर और विनम्रता से आमंत्रित करें। दक्षिणाभिमुख होकर विधिपूर्वक तर्पण करें। अंत में दीपदान और गौदान अवश्य करें। सबसे बड़ी गलती है अशुद्धता, अनादर और दिखावा। सबसे बड़ा नियम है श्रद्धा और पवित्रता।

PunjabKesari Pitru Paksha


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News