कब शुरू होगा श्राद्ध पक्ष, पितृ दोष से क्या है इसका संबंध?
punjabkesari.in Friday, Sep 02, 2022 - 04:36 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में श्राद्ध यानि पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है जो 16 दिनों तक चलता है। ये 16 दिन हमारे पितरों के मानें जाते हैं। कहते हैं इस दौरान पितर धरती पर आते हैं और अपने परिवार पर उनकी श्रृद्धानुसार कृपा करते हैं। इसलिए श्राद्धों में पूरी श्रद्धा के साथ पितरों को याद किया जाता है और उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। मान्यता है कि विधि पूर्वक पितरों का श्राद्ध करने से वो अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। बता दें, इस साल यानि 2022 में पितृ पक्ष 10 सिंतबर को शुरू होकर 25 सितंबर को समाप्त हो रहे हैं। तो आईए जानते हैं श्राद्ध क्यों ज़रूरी है और पितृ पक्ष से जुड़ी रोचक जानकारी जिसके बारें में शायद आप न जानते हो जानते हैं-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब मृतक अंतिम संस्कार विधि पूर्वक नहीं किया जाता है या किसी की अकाल मृत्यु जो जाती है। ऐसे में परिवार को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। कहा जाता है कि पितृ दोष का असर पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। जब तक कि उसका उपाय ना कर लिया जाए। पितृ दोष के कारण ही परिवार को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है। तरक्की में बाधा उत्पन्न होती रहती है। घर में कलह-क्लेश होता रहता है। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों की मानसिक शांति भंग हो जाती है। संतान सुख नहीं मिलता है। परिवार के सदस्य बुरी संगत में फंस जाते हैं। नौकरी या व्यापार में भरपूर मेहनत के बावजूद भी अनुकूल फल नहीं मिलता है। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करके आप पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं।
पितृ पक्ष में किए गए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके साथ ही दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाकर रोज उनको प्रणाम करें। ऐसा करने से पितृ दोष से राहत मिल सकती है।
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पितृ दोष के छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ जल अर्पित करें। ऐसा अगर अमावस्या तिथि को करते हैं तो उत्तम फलदायी होगा। अमावस्या के दिन पीपल में जल से साथ-साथ ही फूल, अक्षत, दूध और काले तिल भी चढ़ाएं।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए एक उपाय यह भी है कि रोजाना शाम को दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाएं। यदि ऐसा संभव न हो तो भी कम से कम पितृ पक्ष के दौरान ऐसा जरूर ऐसा करें।
बताते चलें, श्राद्ध का मतलब होता है अपने पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना। पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि जो लोग परलोक सिधार जाते हैं। वो इस समय किसी न किसी रूप में अपने परिवार वालों से मिलने और उन्हें आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इंसान के मरने के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए 16 दिनों तक श्राद्ध कर्म किया जाता है।