Pashupati vrat: आज से शुरू करें ये व्रत, छठे सोमवार तक हर इच्छा होगी पूरी

punjabkesari.in Monday, Feb 06, 2023 - 06:58 AM (IST)

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Pashupati vrat: भगवान शिव के प्रिय व्रतों में से एक है पशुपति व्रत। इस व्रत का नाम शायद बहुत कम लोगों ने सुना होगा लेकिन यह बहुत ही लाभकारी है। शास्त्रों के अनुसार पशुपति व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है और हर इच्छा पूरी हो जाती है। अगर कोई अधिक बोझ के नीचे दबा हुआ है या किसी का वैवाहिक जीवन सही नहीं है, वो इस व्रत को रख सकता है। यह व्रत बहुत ही आसान है। इसे रखने के लिए कोई शुभ मुहूर्त या कोई खास दिन की जरूरत नहीं पड़ती। तो आइए जानते हैं कि कैसे रखा जाता है पशुपति व्रत और क्या हैं इसके नियम।

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When to do Pashupati Vrat कब करें पशुपति व्रत: इस व्रत को किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष में किया जा सकता है। बस ध्यान रहे, इस व्रत को करने के लिए सोमवार का दिन होना चाहिए। अगर मन के मुताबिक फल पाना चाहते हैं तो इस व्रत को विधि-विधान के साथ करना चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक, इस व्रत को पूरे 5 सोमवार तक करना चाहिए। तभी इस व्रत का फल मिलता है।

Rules of Pashupati Vrat पशुपति व्रत के नियम: हर व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ नियम होते हैं- सुबह भगवान शिव के मंदिर जाएं और उन्हें बेलपत्र व पंचामृत चढ़ाएं।

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सुबह के समय फलहार करें।

शाम के समय भगवान शिव को भोग लगाने के लिए कुछ मीठा बनाएं और उसके तीन हिस्से कर लें। फिर उसमें से एक हिस्सा अपने लिए निकाल लें और बाकि दो हिस्सों को भोलेनाथ पर अर्पित कर अपनी मनोकामना को व्यक्त करें।  

शाम को मंदिर जाते समय भोग के साथ 6 दीपक भी लेकर जाएं। उनमें से 5 दीपक भोलेनाथ के सामने जला कर रखे दें और बचें एक दीपक को वापिस घर ले आएं। इस दिए को घर में प्रवेश करने से पहले राइट साइड में रख दें और घर के अंदर प्रवेश कर जाएं।

व्रत को खोलते समय उस प्रसाद के एक हिस्से को ग्रहण कर लें।

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Pashupati Vrat Udyapan पशुपति व्रत उद्यापन: इस व्रत को लगातार 5 सोमवार तक किया जाता है और इसके बाद इसका उद्यापन करते हैं। 4 सोमवार के बाद पांचवे सोमवार को पूजा के बाद अपनी मनोकामना को ध्यान में रखते हुए महादेव को एक नारियल चढ़ा दें। हो सके तो भगवान शिव को 108 बेलपत्र या फिर अक्षत चावल भी चढ़ाएं। छठे सोमवार तक आपकी हर इच्छा होगी पूरी।

सारा दिन मन ही मन भगवान शिव के इन प्रिय मंत्रों का जाप करते रहें
ॐ नमः शिवाय
नमो नीलकण्ठाय
ॐ पार्वतीपतये नमः
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा

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Content Writer

Niyati Bhandari

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