धर्म के समान दूसरा कोई मित्र नहीं

punjabkesari.in Sunday, Feb 23, 2020 - 03:59 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आचार्य चाणक्य, एक ऐसे महान विद्वान थे जिन्हें किसी भी तरह के परिचय की आवश्यकता नहीं है। दुनिया भर में इनको इनके ज्ञान के दम पर जाना जाता है। जाना जाए भी क्यों न आख़िर इन्होंने केवल अपने ज्ञान के दम पर मौर्य वंश की स्थापना करवाने में एक अहम योगदान निभाया था। प्राचीन समय में लिखित इनकी नीतियां आज भी अगर कोई अपनाता है तो उसका असफल होना मुश्किल ही नही नामुमकिन लगता है। बल्कि कहते हैं इनकी नीतियां इतनी शक्तिशाली मानी जाती हैं कि दुश्मन भी इन्हें भांप नहीं पाते। यही कारण है कि आज भी लोग इनकी इन नीतियां को फॉलो करना पसंद करते हैं। 
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आज हम आपको इनके द्वारा बताई गई एक ऐसी नीति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बताती है कि जीवन में सच्चा मित्र इंसान का कौन होता है। दरअसल चाणक्य द्वारा बताई गई इन बातों को जो भी अपनाता है उसे अपने जीवन में सफलता ज़रूर मिलती है। 
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नास्ति धर्मसम: सखा।
भावार्थ :
धर्म का अर्थ है, अच्छे विचार और अच्छे कार्य करना। जो व्यक्ति ऐसे धर्म का पालन करता है, वह सच्चे मित्र को अपने साथ रखता है। अच्छे कार्य करने वाले व्यक्ति को कभी कोई परेशानी नहीं होती। उसका धर्म मित्रवत उसकी रक्षा और सहायता करता रहता है।
 


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