Inspirational Context : यहां जानें, कौन है आपका सबसे बड़ा मित्र और कौन है आपका शत्रु ?
punjabkesari.in Sunday, Apr 28, 2024 - 09:16 AM (IST)

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Inspirational Context: महान दार्शनिक सुकरात से एक व्यक्ति ने पूछा, ‘‘इस संसार में आपका सबसे करीबी मित्र कौन है ?’’ सुकरात ने जवाब दिया, ‘‘मेरा मन।’’ उसने फिर अगला प्रश्न किया ‘‘और आपका शत्रु कौन है ?’’
सुकरात ने उत्तर दिया, ‘‘मेरा शत्रु भी मेरा मन ही है।’’ इस पर वह व्यक्ति हैरत में पड़ गया। उसने सुकरात से निवेदन किया, ‘‘यह बात मेरी समझ में नहीं आई। आखिर मन ही मित्र भी है और मन ही शत्रु भी। ऐसा कैसे हो सकता है ? कृपया इस बारे में विस्तार से बताएं।’’
सुकरात ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘देखो, मेरा मन इसलिए मेरा साथी है क्योंकि यह मुझे सच्चे मित्र की तरह सही मार्ग पर ले जाता है। और वही मेरा दुश्मन भी है क्योंकि वही मुझे गलत रास्ते पर भी ले जाता है। मन ही में तो सारा खेल चलता रहता है। मन ही व्यक्ति को पाप कर्मों में लगा सकता है। वह बड़े से बड़ा अपराध करा सकता है। लेकिन वही उसे उच्च विचारों के क्षेत्र में लगा सकता है।’’
वह व्यक्ति ध्यान से सुकरात की बातें सुन रहा था। उसने पूछा, ‘‘लेकिन जब शत्रु और मित्र दोनों हमारे साथ ही हों तो फिर हमारे ऊपर किसका ज्यादा असर होगा ?’’
सुकरात ने कहा,‘‘हां, यही हमारी चुनौती है। यह हमें तय करना होगा कि हम मन के किस रूप को हावी होने दें।
हमने ज्यों ही उसके बुरे रूप को हावी होने दिया वह शत्रु की तरह व्यवहार करता हुआ हमें गर्त में ले जाएगा। लेकिन सकारात्मक बातों पर ध्यान देने से वह मित्र की तरह हमें उपलब्धियों की ओर ले जाएगा।’’
यह सुनकर व्यक्ति संतुष्ट हो गया।