Nirjala Ekadashi: आज इस तरह की गई पूजा दिलाएगी जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Wednesday, May 31, 2023 - 08:12 AM (IST)

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Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी एक वर्ष में आने वाली  24 एकादशियों में सबसे पुण्य फलदायक मानी जाती है। बिना पानी पिए रखे जाने वाले इस व्रत में इस दिन किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ का सेवन न करें और क्रोध से बचें। इस दिन मन को एकाग्र रखें सात्विकता का पालन करें। इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। जल से भरा कलश दान करें, प्यासों को पानी पिलाएं।

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मकान की छत पर पशु-पक्षियों के लिए पानी और थोड़ा दाना डालें। इस दिन सुबह उठकर स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित कर व्रत का संकल्प लें और एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़ें। ऐसा करने से भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस व्रत को रखने से जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत की कथा सुनने से परिवार का कल्याण होता है, वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा 100 यज्ञों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

Nirjala Ekadashi Vrat Katha निर्जला एकादशी व्रत कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में बहुत दयालु और धर्मात्मा महीध्वज नामक राजा का छोटा  भाई वज्र ध्वज अत्यंत क्रूर था। एक दिन वज्र ध्वज ने अपने बड़े भाई की हत्या करके उसका पार्थिव शरीर जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। अकाल-मृत्यु के कारण धर्मात्मा राजा महीध्वज प्रेतात्मा के रूप में पीपल के पेड़ पर रहकर काफी उत्पात मचाने लगा।

एक दिन उस पेड़ के निकट से गुजरते समय धौम्य ऋषि ने उस प्रेत को देख कर अपने तपोबल से राजा के बारे में सब कुछ जान लिया। उसे प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने एकादशी व्रत रखा और व्रत का पुण्य उसे अर्पित कर दिया जिससे राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई। राजा ने धौम्य ऋषि को धन्यवाद किया और विमान में बैठकर वैकुंठ धाम को चले गए।

निर्जला एकादशी व्रत में तुलसी एवं पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। उनके नीचे दीपक जलाकर 11 बार परिक्रमा करनी और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। शाम के समय ईशान कोण में घी का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और गाय को हरा चारा खिलाएं। चींटियों को आटे में शक्कर मिलाकर खिलाएं।

इस दिन चावल नहीं खाएं क्योंकि ऐसा करने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है। भगवान विष्णु को पीताम्बरधारी माना गया है। अत: पीले फूल, पीले वस्त्र, पीले फल और पीले मिष्ठान के साथ श्री हरि की पूजा करें।

फिर एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें और उसके बाद ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। सबसे अंत में श्री हरि की आरती करने के बाद पूजा का समापन करें। इससे निर्जला एकादशी व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त होगा।

इस दिन काले वस्त्र न पहनें। इस दिन बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना और नाखून काटना वर्जित है। इस दिन प्याज एवं लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन इन नियमों का पालन करने वाले पर विष्णु जी की कृपा बनी रहती है। सदा सुखी और सम्पन्न रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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