Navratri Maha Upay: माता रानी के साथ करें इनकी पूजा, मिलेगा दोगुना फल

punjabkesari.in Tuesday, Sep 27, 2022 - 08:10 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shardiya Navratri Maha Upay: नवरात्रि मां दुर्गा के 9 रूपों के पूजन करने का शुभ समय माना जाता है। नवरात्रि में नव दुर्गा का पूजन गृहस्थ से लेकर सन्यासी, साधू, संत, योगी, ऋषि, मुनि इसके साथ-साथ देवता गण भी करते हैं। नवरात्रि में देवी दुर्गा के पूजन के साथ-साथ दो अन्य शक्तियों का पूजन करना भी अनिवार्य हो जाता है। जहां भी देवी पूजन होता है वहां पर भगवान गणेश जो कि प्रथम पूज्य देवता है, उनका पूजन अवश्य व अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जिस जगह पर देवी का पूजन हो वहां पर भैरव का पूजन किए बिना शक्ति साधना सफल नहीं मानी जाती। प्राय: लोग यह गलती कर देते हैं देवी पूजन के समय गणेश पूजन और भैरव पूजन को दरकिनार कर देते हैं या भूल जाते हैं, यह शुभ संकेत नहीं माना जाता। नवरात्रि के 9 दिनों में देवी पूजन से पहले गणेश जी का ध्यान अवश्य करें, देवी पूजन के पश्चात भैरव जी का आवाहन पूजन व भोग अवश्य निकालें। इसके पश्चात ही पूजा को सफल माना जाता है।

PunjabKesari Navratri Maha Upay

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

PunjabKesari Navratri Maha Upay

गणेश पूजन विधि: नवरात्रि की सुबह माता रानी की पूजा करने से पहले भगवान गणेश के विग्रह का ध्यान करें। उन्हें कुछ अक्षत, पुंगी फल, पान, लोंग और नैवेद्य चढ़ाते हुए निर्विघ्न इस शक्ति साधना के संपन्न होने की प्रार्थना करें। हर रोज प्रत्येक देवी के पूजन से पहले भगवान गणेश का ध्यान अवश्य करें और उन्हें नमस्कार करते हुए शक्ति साधना आरंभ करें। इस मंत्र का जाप 11 बार कर कर पूजा कार्य प्रारंभ करें।

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

PunjabKesari Navratri Maha Upay
भैरव पूजन: धरती पर जहां-जहां भी देवी शक्ति का मंदिर पाया जाता है। उसके आस-पास भैरव जी का मंदिर जरूर होता है। एक तो भैरव जी को मां शक्ति का रक्षक कहा जाता है, दूसरे भैरव जी को देविका द्वारपाल के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रों की पूजा में भी भैरव जी का विशेष स्थान है। देवी पूजन करके सभी प्रकार के सुख-साधन की कामना व्यक्ति करता है। भैरव जी को भोग चढ़ाए बिना देवी की पूर्ण प्रसन्नता का फल प्राप्त नहीं होता। बाल रूप में भैरव जी का ध्यान करते हुए उन्हें नमस्कार करें और उन्हें देवी को चढ़ने वाले भोग का दूसरा भाग अवश्य चढ़ाएं। यूं तो भैरव जी को तंत्र का देव कहा गया है परंतु बटुक भैरव की पूजा गृहस्थ में रह रहे लोग बिना किसी संकोच के कर सकते हैं।

नीलम
8847472411 

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News