Navratri 2020: नवरात्रों पर बनेगा अद्भुत संयोग, रोग और तकलीफों से मिलेगी मुक्ति

punjabkesari.in Tuesday, Oct 06, 2020 - 05:52 AM (IST)

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Navratri 2020: अक्टूबर का महीना और खासकर इस बार के नवरात्र ज्योतिष की दृष्टि से बहुत ही खास रहने वाले हैं। इस बार के नवरात्रों से कई अद्भुत संयोग जुड़े हैं और ग्रहों की चाल यह बता रही है कि यह नवरात्र पर्व हमें बहुत सी तकलीफों और बीमारियों से निजात दिलाएंगे। लोगों की जिंदगी पर बहुत ही शुभ प्रभाव पड़ेगा।

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राशि चक्र के 4 बड़े ग्रह जो लंबे समय से अच्छे प्रभाव नहीं दे रहे थे, उनकी चाल बदलने से, उनके राशि परिवर्तन से,  स्थितियां बहुत सुखद बनने जा रही हैं। यानी इस बार के नवरात्र बहुत ही खास रहने वाले हैं। बहुत ही शुभ रहने वाले हैं।

165 साल पहले आश्विन मास में मलमास लगने व नवरात्र के बीच 1 महीने का अंतर आने का संयोग बना था और 165 साल के बाद फिर से इस संयोग की पुनरावृति हुई है यानी रिपीटेशन हुआ है।

हर साल पितृपक्ष यानि श्राद्ध समाप्ति के अगले दिन नवरात्र उत्सव शुरू हो जाते हैं लेकिन इस बार यह पर्व पितृपक्ष समाप्ति के 1 महीने बाद शुरू होने जा रहा है क्योंकि इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिक मास लग गया था।

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17 अक्टूबर को नवरात्र का पहला दिन है। उस दिन प्रतिपदा पर मां शैलपुत्री पूजा के लिए घटस्थापना जब होगी, उस वक्त स्वार्थ सिद्धि योग होगा, जिसे ज्योतिष में बहुत ही पवित्र, शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।

मां शैलपुत्री को देवी दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम रूप माना जाता है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती है और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं। 17 अक्टूबर को नवरात्र के पहले दिन ही स्वार्थ सिद्धि योग में मां शैलपुत्री की घट स्थापना होगी।

नवरात्र को शुरू होने वाले शुभ संयोग पूरे नवरात्र उत्सव के दौरान जारी रहेंगे।  19 अक्टूबर, 23 अक्टूबर व 24 अक्टूबर को भी स्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि 18 व 24 अक्टूबर को रवि सिद्धि महायोग भी रहेगा।

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यही नहीं, नवरात्रों के दौरान ही 19 अक्टूबर को स्वार्थ सिद्धि योग के साथ द्विपुष्कर योग और 20 अक्टूबर को स्वार्थ सिद्धि योग के साथ सौभाग्य योग, 21 अक्टूबर को स्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ ललिता पंचमी, बुधवार को शोभन योग का दुर्लभ संयोग भी रहेगा।

नवरात्रों के दौरान कई महत्वपूर्ण ग्रह शुभ स्थिति में होंगे। देव गुरु बृहस्पति अपनी ही धनु राशि में मार्गी अवस्था में होंगे। शनिदेव भी अपनी ही मकर राशि में शुभ चाल चल रहे होंगे यानी मार्गी होंगे। मंगल ग्रह मीन राशि में गोचर कर रहे होंगे, जो देव गुरु बृहस्पति की अपनी राशि है और देव गुरु बृहस्पति के साथ मंगल ग्रह की मित्रता है ।

ज्योतिष में आत्मा का कारक माने वाले सूर्य 17 अक्टूबर को बुध की कन्या राशि से शुक्र के तुला राशि में आ जाएंगे। सूर्य को जीवन में पॉजिटिव एनर्जी का प्रतीक माना गया है और हमारे शास्त्रों में सूर्य को देवता का दर्जा भी दिया गया  है।

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ऐश्वर्या ,सौंदर्य, ग्लैमर , विलासिता और सुख-समृद्धि के प्रतीक शुक्र ग्रह भी इन्हीं नवरात्रों के दौरान 23 अक्टूबर को सुबह 10:40 पर सूर्य की सिंह राशि से बुध की कन्या राशि में आ जाएंगे।

राहु ग्रह , शुक्र की वृषभ राशि और केतु ग्रह वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे होंगे, जो मंगल की राशि है और बहुत से ज्योतिविद राहु को वृषभ राशि में और केतु को वृश्चिक राशि में शुभ स्थिति में मानते हैं यानी सबसे पावरफुल मानते हैं।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

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Niyati Bhandari

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