Mysterious Temples of India: भारत के रहस्यमयी मंदिर जहां प्रसाद खाना या घर ले जाना है मना

punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 02:45 PM (IST)

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Mysterious Temples of India: भारत की भूमि जितनी पवित्र है, उतनी ही रहस्यमयी भी। यहां हर मंदिर के पीछे कोई न कोई आध्यात्मिक कथा या वैज्ञानिक कारण छिपा है। सामान्यतः मंदिरों का प्रसाद पवित्र माना जाता है लेकिन कुछ देवस्थान ऐसे हैं, जहां प्रसाद खाना या घर ले जाना अशुभ माना गया है। आइए जानें इन 5 अद्भुत मंदिरों की प्राचीन मान्यताएं। इन मंदिरों की परंपराएं केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ऊर्जा संरक्षण और आध्यात्मिक शुद्धि से जुड़ी हैं। प्रसाद को देवता का अंश माना गया है। इसे श्रद्धा से स्वीकार करें, लेकिन शास्त्र-विहित मर्यादा के साथ।

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (राजस्थान) – प्रसाद ग्रहण करना वर्जित
राजस्थान के दौसा जिले में स्थित यह मंदिर हनुमानजी के बालाजी रूप को समर्पित है। यहां आने वाले भक्त बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए पूजा करते हैं। यहां बूंदी के लड्डू और उड़द-चावल का भोग लगाया जाता है, परंतु इसे खाना या घर ले जाना अपशकुन माना जाता है। पुराणों के अनुसार, यह प्रसाद केवल देवता को अर्पित होता है; घर ले जाने से नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सकती है।

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कामख्या देवी मंदिर (असम) – रजस्वला काल में प्रसाद वर्जित
गुवाहाटी स्थित यह शक्ति पीठ देवी कामाख्या के योनिपीठ रूप में प्रसिद्ध है। जब देवी का ‘रजस्वला पर्व’ तीन दिन तक चलता है, तब मंदिर बंद रहता है और प्रसाद ग्रहण वर्जित होता है। यह मान्यता देवी के विश्राम और सृष्टि-शक्ति के सम्मान से जुड़ी है, जो स्त्री-शक्ति के प्राकृतिक चक्र का प्रतीक है।

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काल भैरव मंदिर (उज्जैन) – शराब का प्रसाद केवल देवता के लिए
यहां भैरव बाबा को शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह भारत का इकलौता मंदिर है जहां ऐसी परंपरा आज भी जीवित है।
पुरातात्विक ग्रंथ भैरव तंत्र के अनुसार, यह प्रसाद केवल भगवान को समर्पित होता है। भक्त द्वारा सेवन करने पर दुर्भाग्य का संकेत माना गया है।

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नैना देवी मंदिर (हिमाचल प्रदेश) – प्रसाद घर ले जाना वर्जित
शक्ति पीठों में से एक, नैना देवी मंदिर में प्रसाद केवल देवी को अर्पित होता है। यहां मान्यता है कि प्रसाद मंदिर परिसर में ही ग्रहण करना शुभ है, घर ले जाने से देवी के आशीर्वाद में विघ्न आ सकता है।

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कोटिलिंगेश्वर मंदिर (कर्नाटक) – शिवलिंग का प्रसाद निषिद्ध
यहां एक करोड़ शिवलिंग स्थापित हैं। पूजा के बाद दिया गया प्रसाद केवल प्रतीकात्मक रूप से स्वीकार किया जाता है।
शिवलिंग से निकला प्रसाद चंडेश्वर को समर्पित माना गया है, इसलिए उसका सेवन वर्जित है।


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Content Writer

Niyati Bhandari