Muni Shri Tarun Sagar: अंधेरा ढलने को है, रात जाने को है, सूरज उगने का इंतजार करें

punjabkesari.in Friday, Dec 19, 2025 - 09:32 AM (IST)

जिंदगी रेडियो है
जिंदगी कोई आईपॉड नहीं है कि जो गीत पसंद हो, लगाया और सुन लिया। जिंदगी तो रेडियो है। बटन घुमाते जाइए-घुमाते जाइए, कभी न कभी तुम्हारा पसंदीदा गीत जरूर लग जाएगा। जिंदगी में दुख आए तो घबराइए मत, वरन् हिम्मत से काम लीजिए। अंधेरा ढलने को है, रात जाने को है, सूरज उगने का इंतजार करें। आखिर दूध के फटने पर वे ही दुखी होते हैं, जिन्हें रसगुल्ला (छेना) बनाना नहीं आता।

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हर आदमी भारत है
आदमी चलता-फिरता भारत है। तुम अपने दोनों हाथ कूल्हे पर रखकर खड़े हो जाओ तो स्वत: भारत का नक्शा बन जाएगा। तुम्हारा दाहिना हिस्सा राजस्थान तो बाईं ओर बिहार व उड़ीसा हैं। पेट मध्य प्रदेश है, पैर तमिलनाडु तो छाती उत्तर प्रदेश है। इसके आसपास ही कहीं दिल है जिसे दिल्ली कहते हैं। गला पंजाब है। माथा जम्मू-कश्मीर है। शायद इसलिए वह आज भी सिरदर्द बना हुआ है। फिर भी भारत में रहने वाला हर आदमी भारत है।

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जिंदगी की गारंटी नहीं
मृत्यु अतिथि है। कभी भी आ सकती है। बुढ़ापे में ही आए, ऐसा जरूरी नहीं है। वह जवानी में, बचपन में कभी भी आ सकती है। वर्किंग डे में ही आए, यह भी जरूरी नहीं है। वह संडे को भी आ सकती है। जो सांस भीतर जा रही है, वह वापस लौटकर आएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं। अत: तन के पिंजरे से प्राण पखेरू उड़ें, इससे पहले मन के मंदिर में प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा कर लेना।

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आत्मा सब देखती है
हमारा शरीर भारत जैसा है, जिसमें प्राण प्रधानमंत्री की हैसियत से तथा इंद्रियां अपने-अपने क्षेत्र की सांसद हैं। जैसे कोई सांसद इस्तीफा दे दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन प्रधानमंत्री इस्तीफा दे दे तो सरकार का गिरना निश्चित है, वैसे ही इंद्रियां चली जाएं तो आदमी मर नहीं जाता लेकिन प्राण चले जाएं तो सब खत्म। आत्मा राष्ट्रपति है। वह सब देखती है, अनुचित को रोकने की कोशिश भी करती है पर जब कोई उसकी न माने, तो वह क्या करे?

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Content Writer

Niyati Bhandari

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