Muni Shri Tarun Sagar- ...तो समझना आपने घर बैठे ही चार धाम की यात्रा करने का पुण्य अर्जित कर लिया
punjabkesari.in Sunday, Nov 02, 2025 - 02:00 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सबसे बड़ा पुण्य
दस गाय दान करना बड़ा पुण्य है मगर इससे भी बड़ा पुण्य कत्लखाने में जाती हुई एक गाय को बचा लेना है। दस मंदिरों का निर्माण करना बड़ा पुण्य है मगर इससे भी बड़ा पुण्य एक प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार करना बड़ा पुण्य है मगर इससे भी बड़ा पुण्य एक आतंकवादी को अहिंसावादी बना देना है। अगर आप अपनी प्रेरणा से एक मांसाहारी व्यक्ति को शाकाहारी बना देते हैं तो समझना आपने घर बैठे ही चार धाम की यात्रा करने का पुण्य अर्जित कर लिया।

प्रभु नाम का पट्टा
कुत्ते दो प्रकार के होते हैं। एक पालतू और दूसरा फालतू। जो पालतू कुत्ता होता है उसके गले में एक पट्टा पड़ा होता है। उस पट्टे की वजह से उसे न तो कोई छेड़ता है और न पकड़ता है और न ही मारता है। मगर जो फालतू कुत्ता होता है उसके गले में कोई पट्टा न होने की वजह से हर कोई उसे छेड़ता और मारता है। अगर तुमने भी अपने गले में प्रभु नाम और सद्गुरु के आशीर्वाद का पट्टा डाल लिया है तो फिर तुम्हें भी दुनिया की कोई भी आसुरी व तामसिक शक्ति नहीं छेड़ सकती।

प्रसन्नता से विदा करो
सद्गृहस्थ का शाश्वत धर्म यही है कि यदि संत मुनि तुम्हारे घर नगर आ रहे हैं तो उनकी अगवानी करो, उनका स्वागत और अभिनंदन करो। यदि संत मुनि तुम्हारे घर नगर में ठहरते हैं तो उनके प्रवास की समुचित व्यवस्था करो और यदि संत मुनि तुम्हारे नगर से विहार कर रहे हैं तो उन्हें रोको मत, सहज व प्रसन्न मन से विदा करो क्योंकि वे तुम्हारे ही किसी भाई के कल्याण और मुक्ति के लिए जा रहे हैं। सद्गुरु एक दीप है। दीप का काम दीयों की बाती को प्रज्वलित करना, उन्हें जगाना और आगे बढ़ जाना है।

