Muni Shri Tarun Sagar: सत्य परेशान तो हो सकता है लेकिन पराजित नहीं

punjabkesari.in Friday, Sep 12, 2025 - 02:00 PM (IST)

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सत्य का रास्ता  
सत्य का रास्ता कठिन है। इस रास्ते पर हजार चलने की सोचते हैं मगर सौ ही चल पाते हैं। नौ सौ तो सोच कर ही रह जाते हैं और जो सौ चल देते हैं, उनमें केवल दस ही पहुंच पाते हैं। नब्बे तो रास्ते में ही भटक जाते हैं और जो दस पहुंचते हैं उनमें भी सिर्फ एक ही सत्य को उपलब्ध हो पाता है, नौ फिर भी किनारे पर आकर डूब जाते हैं। तभी तो कहते हैं कि सत्य एक है और याद रखें, सत्य परेशान तो हो सकता है लेकिन पराजित नहीं।

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खाली मत बैठिए
बड़ा आदमी वह नहीं, जिसके यहां चार नौकर काम करते हैं, बल्कि वह है जो चार नौकरों का काम खुद अकेला कर लेता है। निठल्ला बैठा आदमी जल्दी बूढ़ा होता है। जब आदमी थक कर बैठ जाता है तो उस पर बीमारियां आकर बैठ जाती हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद भी खाली मत बैठिए। अपने तन और मन को किसी नेक और अच्छे कार्य में लगाए रखिए। थक कर बैठ जाने से तो इंसान की किस्मत भी बैठ जाती है। अच्छे-खासे होकर भी विकलांग क्यों बनते हो भाई?

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तुम क्या दीप जलाओगे
भगवान के सामने दीप जलाओ तो इस बात का अहंकार मत करना कि मैंने दीप जलाया। अरे! तुम क्या दीप जलाओगे? भगवान के समक्ष कुदरती दो दीप तो जलते ही रहते हैं। दिन में तो सूरज जलता है और रात में चंद्रमा जलता है। तुम्हारा दीया सूरज और चांद का मुकाबला तो नहीं कर सकता न। तो फिर अहंकार क्यों? बस इतना ही विचार करना कि हे प्रभु, मैं नदी के जल से सागर को पूज रहा हूं, दीप से सूरज की आरती उतार रहा हूं। हे प्रभु! तेरा ही तुझको अर्पण कर रहा हूं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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