Muni Shri Tarun Sagar: अपनी आंखों और जुबान को संभाल लो, सब कुछ संभल जाएगा

punjabkesari.in Sunday, Jul 06, 2025 - 02:00 PM (IST)

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आंख और जुबान
मनुष्य जाति में दो पुरानी बुराइयां हैं। एक ताने मारने की और दूसरी आंख मारने की। पुरुष अगर आंख मारना और महिलाएं ताने मारना बंद कर दें तो जीवन और समाज के आधे संघर्ष खत्म हो जाएं। अस्त्र-शस्त्र से अब तक जितने लोग नहीं मरे होंगे, उससे भी अधिक लोग ताने और आंख मारने से मर चुके हैं। बस, अपनी आंखों और जुबान को संभाल लो, सब कुछ संभल जाएगा। आंख और जुबान बड़ी नालायक हैं, क्योंकि सारी गड़बड़ियां इन्हीं से शुरू होती हैं।

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क्रोध का खानदान
क्रोध का अपना पूरा खानदान है। क्रोध की एक लाडली बहन है जिद। वह हमेशा क्रोध के साथ-साथ रहती है। क्रोध की पत्नी है हिंसा, वह पीछे छिपी रहती है लेकिन कभी-कभी आवाज सुनकर बाहर आ जाती है। क्रोध के बड़े भाई का नाम है अहंकार। क्रोध का बाप भी है, जिससे वह डरता है। उसका नाम है भय। निंदा और चुगली उसकी बेटियां हैं। एक मुंह के पास रहेगी तो दूसरी कान के पास। वैर बेटा है। ईर्ष्या इस खानदान की नकचढ़ी बहू है। परिवार में पोती है घृणा। घृणा हमेशा नाक के पास रहती है। नाक-भौं सिकोड़ना काम है इसका, उपेक्षा क्रोध की मां है।

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समय का महत्व
समय अमूल्य है। जिंदगी में एक वर्ष का क्या महत्व है? यह इसी वर्ष फेल हुए विद्यार्थी से पूछिए। एक माह का महत्व जानना है तो उस मां से मिलिए जिसने ‘अठमासिया’ बच्चे को जन्म दिया है। सात दिन का महत्व जानना है तो किसी साप्ताहिक पत्र के सम्पादक से मिलिए। एक दिन का महत्व वह दिहाड़ी मजदूर ही बता सकता है जिसे आज मजदूरी नहीं मिली है। एक घंटे का महत्व जानना है तो सिकंदर से पूछिए, जिसने आधा राज्य देकर एक घंटे मौत को टालने का आग्रह किया था। एक मिनट का महत्व उस भाग्यशाली से पूछिए जो वल्र्ड ट्रेड सैंटर की इमारत गिरने से ठीक एक मिनट पहले ही सुरक्षित बाहर निकला था। अब बचा एक सैकेंड। तो एक सैकेंड का महत्व उस धावक से पूछिए जो इसी एक सैकेंड की वजह से स्वर्ण पदक पाते-पाते रजत पदक पर रह गया।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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