Muni Shri Tarun Sagar: मनचाहा बोलोगे तो अनचाहा सुनना पड़ेगा

punjabkesari.in Friday, Feb 10, 2023 - 10:31 AM (IST)

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कुत्ते जैसा वैर
कुत्ता कुत्ते का दुश्मन है। पता नहीं यह दुश्मनी किस जन्म की है लेकिन कुत्ता कुत्ते को देखता है तो भौंकता है, गुर्राता है।

जब कोई आदमी दूसरे को खाता-पीता देख कर, फलता-फूलता देख कर, आगे बढ़ते देखकर उससे जलता है, उसे देख कर भौंकता है तो समझना कि उसके भीतर का कुत्तापन जाग रहा है। भाई-भाई को देखे और भौंके तो वह कुत्ता नहीं तो और क्या है!

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पुरुषार्थ ही भाग्य

सबको अपने भाग्य का ही भाग मिलता है। जो व्यक्ति अपने भाग्य को कोसने लगता है समझ लीजिए कि उसकी उन्नति रुक गई। आज का पुरुषार्थ ही कल का भाग्य बनता है। पुरुषार्थ बड़ा है।

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पुरुषार्थ से ही भाग्य भी टिकता है। महावीर का धर्म पुरुषार्थवादियों का धर्म है, भाग्यवादियों का नहीं। भगवान से प्रार्थना करो कि प्रभु सबको सुख दें। हमारे कर्म हमें सुख देंगे।

प्यार से बनता है परिवार
समाज की सबसे छोटी इकाई है परिवार। परिवार व्यक्तियों के समूह से नहीं अपितु प्यार की अभिव्यक्तियों की रूह से बनता है। शांति से जीना है तो परिवार में समरसता घोलें, मीठा खाने को न मिले तब भी मीठा बोलें। जो मन में आए वह न बोलें।

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अपितु जो औरों के मन भाए वह बोलें क्योंकि मनचाहा बोलोगे तो अनचाहा सुनना पड़ेगा। कड़वी जुबान से परिवार बिखरता है। अत: जुबान को चूना नहीं चीनी बनाएं। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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