Mahabharata: महाभारत की अनसुनी परतें, श्रीकृष्ण को अपने ही रिश्तेदारों से लड़ना पड़ा
punjabkesari.in Wednesday, Dec 10, 2025 - 11:32 AM (IST)
Krishna Relatives Who Became Enemies: महाभारत केवल कौरव-पांडवों का युद्ध नहीं था, बल्कि यह उन रिश्तों, संघर्षों और राजनीतिक टकरावों की भी कथा है जहां भगवान श्रीकृष्ण को अपने ही रक्त-संबंधियों और रिश्तेदारों से युद्ध करना पड़ा। यदुवंश, कौरववंश और विदर्भ जैसे राजवंशों का आपसी द्वंद्व कई बार इतना गहरा हुआ कि श्रीकृष्ण को अपने परिजनों के खिलाफ हथियार उठाने पड़े। यहां जानिए उन प्रमुख 6 रिश्तेदारों के बारे में, जो कृष्ण के निकट संबंधी होते हुए भी उनके कट्टर शत्रु बन गए।

Kans Krishna Story कंस मामा से बना महाशत्रु
भगवान कृष्ण के सबसे पहले और सबसे घातक शत्रु थे कंस, जो देवकी का भाई और कृष्ण के मामा थे। कंस ने अपने पिता उग्रसेन को अपदस्थ कर स्वयं राज्य हथिया लिया था। देवकी के आठवें पुत्र से अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी सुनकर उसने देवकी-वसुदेव को कैद कर लिया और उनके छह पुत्रों की हत्या कर दी। कृष्ण और बलराम को मारने के लिए कंस ने कई दानव भेजे, लेकिन असफल रहा। अंत में एक दंगल आयोजन करवाकर कृष्ण को आमंत्रित किया, जहां कृष्ण ने कंस को गद्दी से खींचकर भूमि पर पटक दिया और उसका वध कर दिया।

Krishna vs Jarasandh history कंस की मृत्यु का एक बड़ा राजनीतिक परिणाम निकला
मगध नरेश जरासंध, जो कंस का ससुर था, कृष्ण का कट्टर शत्रु बन गया और इससे आगे कालयवन युद्ध सहित कई संघर्षों की नींव पड़ी।

Shishupal and Krishna Rivalry शिशुपाल बुआ का बेटा लेकिन आजीवन विरोधी
शिशुपाल कृष्ण का ममेरा भाई था। जन्म के समय उसके तीन नेत्र और चार भुजाएं थीं। आकाशवाणी हुई कि उसका वध वही करेगा जिसकी गोद में जाते ही उसके अतिरिक्त अंग लुप्त हो जाएंगे और वह व्यक्ति निकले श्रीकृष्ण। शिशुपाल की माता ने कृष्ण से पुत्र की रक्षा का वचन मांगा, जिसके उत्तर में कृष्ण ने कहा, “मैं इसके सौ अपराध क्षमा करूंगा।” लेकिन शिशुपाल ने रुक्मिणी विवाह प्रकरण से लेकर राजसूय यज्ञ तक, हर संभव अवसर पर कृष्ण को अपमानित किया, उन्हें गालियां दीं और पुनः-पुनः युद्ध की चुनौती दी। आखिरकार, राजसूय यज्ञ की सभा में शिशुपाल ने 100 अपराध पूरे किए, जिसके बाद कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। शिशुपाल, जरासंध का सहयोगी और कृष्ण के विरुद्ध कई अभियानों का हिस्सा था।

Duryodhan and Krishna दुर्योधन समधी होते हुए भी विरोधी
दुर्योधन और कृष्ण के संबंध अत्यंत जटिल रहे। कृष्ण समधी भी थे क्योंकि कृष्ण के पुत्र साम्ब ने दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा का हरण कर विवाह किया था। फिर भी दुर्योधन ने अपने राजनीतिक स्वार्थों को कृष्ण की मित्रता से ऊपर रखा और कर्ण को अपना सर्वाधिक प्रिय साथी बनाया। कृष्ण ने कई बार दुर्योधन को धर्म के मार्ग पर चलने की चेतावनी दी, लेकिन उसने नारायणी सेना को चुना, कृष्ण को नहीं, द्रौपदी का अपमान कराया, अधर्म के पक्ष में खड़े होकर अपनी और कौरव वंश की विनाशलीला लिखी। कृष्ण ने स्वयं कहा, “तुम्हारी हार का कारण तुम्हारा अधर्म था, न कि कोई बाहरी शक्ति।”

Karna Reality in Mahabharat कर्ण कृष्ण का परोक्ष भाई, फिर भी रणभूमि का विरोधी
कर्ण का जन्म कुंति से हुआ था, जो वसुदेव की बहन तथा कृष्ण की बुआ थीं। इस नाते कर्ण, कृष्ण का भाई हुआ। फिर भी कर्ण कौरवों की ओर से युद्ध में उतरा और कृष्ण की रणनीतिक योजना के कारण कई संकटों में पड़ा। कृष्ण के आग्रह पर इंद्र ने ब्राह्मण वेश में कर्ण से कवच-कुंडल मांगे, जो उसकी जन्म-रक्षा थे। कर्ण ने दानवीरता के कारण उन्हें दे दिया, जिससे वह कमजोर पड़ गया। कुरुक्षेत्र युद्ध के 17वें दिन, कृष्ण ने अर्जुन के रथ को दलदल की ओर मोड़ा। कर्ण का रथ फंस गया और वह असहाय हो गया। यही अवसर देखकर कृष्ण ने अर्जुन से उसे मारने को कहा, जिससे कर्ण का अंत हुआ।
Krishna and Mitravinda marriage story मित्रविन्दा बहन होने के बावजूद संघर्ष
अवंती की राजकुमारी मित्रविन्दा श्रीकृष्ण की फूफेरी बहन थीं। अपने स्वयंवर में वह कृष्ण को अपना पति चुनना चाहती थीं, लेकिन उनके भाई विंद और अनुविंद दुर्योधन के समर्थक थे और विवाह रोकना चाहते थे। जब विरोध बढ़ा, तब कृष्ण ने सभा में ही मित्रविन्दा का हरण किया। उनके भाइयों ने युद्ध किया, पर पराजित हुए।
Rukmi, Rukmini's brother and Krishna's enemy रुक्मी रुक्मिणी का भाई और कृष्ण का विरोधी
विदर्भ नरेश भीष्मक के पुत्र रुक्मी अपनी बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करवाना चाहता था, क्योंकि वह शिशुपाल का घनिष्ठ मित्र था। रुक्मिणी कृष्ण को मन ही मन पति के रूप में चाहती थीं और उन्होंने एक ब्राह्मण को कृष्ण के पास संदेश देने भेजा।
कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर विवाह किया। यह बात रुक्मी को असहनीय लगी और दोनों के बीच तीव्र युद्ध हुआ, जिसमें कृष्ण ने रुक्मी को पराजित कर दिया पर उसकी जान नहीं ली।

Mahabharat Krishna’s enemies list: महाभारत का राजनीतिक और पारिवारिक जाल इतना गहरा था कि श्रीकृष्ण को अपने ही रिश्तेदारों, परिजनों और भाइयों से युद्ध करना पड़ा। कंस, शिशुपाल, रुक्मी, दुर्योधन और कर्ण सभी किसी न किसी रूप में कृष्ण के निकट संबंधी थे, लेकिन महाभारत में धर्म बनाम अधर्म की लड़ाई इतनी तीव्र थी कि रिश्तों से ऊपर न्याय और सत्य खड़ा हो गया। इस प्रकार, कृष्ण का जीवन दर्शाता है कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति को कई बार अपने ही लोगों से लड़ना पड़ता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
