मन को जीत लेना ही ‘सच्ची विजय’

punjabkesari.in Friday, Oct 07, 2022 - 05:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
तन को जोगी सब करें, मन को विरला कोय।
सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होय॥

हमें बाणा नहीं बाण यानी आदत को बदलना है। कहा गया है ‘‘बाणा बदले सौ-सौ बार, बाण बदले तो बेड़ा पार।’’

एक भक्त संत के पास पहुंचा और बोला, ‘‘महाराज, मैं बहुत दुखी हूं। मेरी घरवाली जब आई थी तो चंद्रमुखी लगती थी, फिर थोड़े समय बाद सूरजमुखी का रूप धारण कर लिया।’’

‘‘मुझे कोई ऐसा मंत्र दीजिए कि मेरी पत्नी मेरे वश में आ जाए। जैसा मैं कहूं वैसा करे।’’

संत बोले, ‘‘बच्चे! अगर कोई ऐसा मंत्र होता तो मैं साधु क्यों बनता? मेरे साथ भी यही समस्या थी।’’

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यह तो एक चुटकुला है। चोट करने की जिसमें कला हो, उसे चुटकुला कहते हैं। जो बड़े-बड़े संग्राम जीत लेते हैं, उन्हें योद्धा कहते हैं। दुश्मनों के दांत खट्टे कर देते हैं, बलवान दुश्मनों को परास्त कर देना जिनका बाएं हाथ का खेल होता है, वही शूरवीर मन के हाथों मात खा जाते हैं। ताश के बारे में हम सब जानते हैं। ताश में बावन पत्ते होते हैं और इनमें गुलाम, बेगम और बादशाह होते हैं। गुलाम कौन है? जो बेगम से हार गया और बादशाह कौन है? जिसने बेगम को जीत लिया।

बेगम हमारा मन है जो इससे हार गया, वह गुलाम बन गया जिसने बेगम यानी मन को जीत लिया, वह बादशाह बन गया। गुलाम नहीं, बादशाह बनें। —उदय चंद्र लुदरा


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Content Writer

Jyoti

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