Mahatma Gandhi: काम के प्रति समर्पण आवश्यक
punjabkesari.in Sunday, Mar 20, 2022 - 10:11 AM (IST)

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एक समय गुजरात में वर्धा के पास स्थित सेवाग्राम में गांधी जी के एक शिष्य ने उनसे पूछा कि जीवन में किस व्यक्ति ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया है? गांधी जी ने बताया, ‘‘भाई रायचंद ने, वैसे तो टालस्टाय और रस्किन से भी मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं मगर मेरे ऊपर सबसे ज्यादा प्रभाव भाई रायचंद का ही पड़ा है।’’
शिष्य ने इसका कारण पूछा तो गांधी जी ने कहा, ‘‘भाई रायचंद का बहुत बड़ा व्यापार था। वह हीरे-मोती की परख करते थे और लाखों का कारोबार करते थे।’’
शिष्य ने गांधी जी को आश्चर्य से देखा। उसे यह बात थोड़ी अटपटी लग रही थी कि वह आखिर एक व्यापारी से क्यों प्रभावित हुए?
गांधी जी ने उसकी मनोदशा भांप कर कहा, ‘‘वह साधारण कारोबारी नहीं थे, वह एक संत थे। उनकी गद्दी पर कोई और चीज हो या न हो, धार्मिक पुस्तकें अवश्य रखी होती थीं। बगल में वह एक डायरी भी रखते थे। जब भी उन्हें फुर्सत मिलती, धार्मिक पुस्तक पढऩे लगते। पुस्तक में मन को छूने वाली कोई भी बात होती तो उसे डायरी में अवश्य नोट कर लेते।’’
‘‘जो व्यक्ति लाखों के लेन-देन की बात करे, फिर तुरन्त ज्ञान की पुस्तक पढऩे लगे और अपनी डायरी में ज्ञान की बात लिखने लगे तो वह व्यापारी नहीं, बल्कि शुद्ध ज्ञानी कहा जाएगा। मेरे साथ उनका कोई स्वार्थ नहीं था। मगर जब भी मैं उनकी दुकान पर पहुंचता था, वह धर्म-चर्चा शुरू कर देते थे। उस समय मुझे धर्म-चर्चा में रुचि नहीं थी, फिर भी मैं भाई रायचंद की बातों को ध्यान से सुनता था।’’
‘‘उसके बाद मैं कई संत-महात्माओं से मिला, मगर किसी ने मुझे इतना प्रभावित नहीं किया। मुझसे लोग पूछते हैं कि आखिर रायचंद में क्या खास बात है, जिससे मैं इतना प्रभावित हुआ हूं। मुझे उनके कर्मयोग ने प्रभावित किया।’’
‘‘आम धारणा है कि एक काम करते हुए दूसरा काम करना कठिन है मगर रायचंद को देखकर लगा कि मनुष्य संसारिक जीवन जीते हुए भी संत और ज्ञानी हो सकता है। इसी कारण मुझे रायचंद सच्चे कर्मयोगी नजर आए। मुझे उनका काम के प्रति समर्पण और सरलता के गुण सबसे अच्छे लगते थे।’’