Chaturmas: जल्द ही मांगलिक कार्यक्रमों पर लगेगा प्रतिबंध, समय रहते कर लें शुभ काम
punjabkesari.in Saturday, Jun 28, 2025 - 12:14 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ashadha Chaturmas 2025: चातुर्मास केवल एक पर्व नहीं है बल्कि यह ब्रह्मांडीय साधना की रिसेट अवधि है। यह काल आपके भीतर के चित्त को शुद्ध करने, ब्रह्म चेतना से जुड़ने और विश्व प्रवाह से अलग होकर स्वप्रवाह में उतरने का अवसर है। विष्णु पुराण में संकेत मिलता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह निद्रा वास्तविक नहीं, बल्कि लीलात्मक संकल्प-स्थगन है। जब ईश्वर अपने रचनात्मक संकल्प को स्थगित करते हैं, तब उसे योगनिद्रा कहा जाता है।
देवशयनी एकादशी से शुरु किए गए पुण्यकर्मों का फल भी करोड़ों गुणा अधिक है। ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, यज्ञों में अश्वमेध यज्ञ, नदियों में गंगा, देवताओं में भगवान विष्णु तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार समस्त व्रतों में एकादशी व्रत सर्वश्रेष्ठ है, इसलिए सभी लोगों को एकादशी व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।
Chaturmas Kab Se Shuru 2025: रविवार, 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से सभी शुभ कामों पर 4 महीने के लिए ब्रेक लग जाएगा। 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी पर श्री हरि विष्णु के जागरण काल के साथ चातुर्मास का समापन होगा तत्पश्चात शुभ कार्य फिर से आरंभ हो जाएंगे।
हिंदू पंचांग की मानें तो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक विवाह, सगाई, उपनयन संस्कार, भवन निर्माण, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर सागर में विश्राम के लिए जाते हैं। देवोत्थान यानी देवउठनी एकादशी पर पुन: सृष्टि का संचालन अपने हाथों में ले लेते हैं। ये चार महीने चार्तुमास के नाम से जाने जाते हैं। पुराणों में कहा गया है इन दिनों में सामान्य दिनों से अधिक धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और भजन-जप, र्कीतन आदि करना चाहिए। मंदिर में दीपदान करना, रात्रि हरिनाम संकीर्तन करना और तुलसी पूजन करने से भगवान श्री हरि विष्णु अधिक प्रसन्न होते हैं।