Mohini Ekadashi 2025: मई महीने में कब रखा जाएगा मोहिनी एकादशी व्रत ? नोट करें तिथि और शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Saturday, Apr 12, 2025 - 11:49 AM (IST)

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Mohini Ekadashi 2025: मोहिनी एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को समर्पित है, जो उनके सुंदर और मोहक रूप में प्रकट हुए थे। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु के भव्य रूप की पूजा की जाती है और इसके साथ ही भक्त अपने पापों से मुक्ति और आत्मिक शांति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस वर्ष मोहिनी एकादशी 8 मई 2025 को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, पूजन विधि और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में विस्तार से।
मोहिनी एकादशी का महत्व
मोहिनी एकादशी का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि इसे पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा का विशेष महत्व है। मोहिनी रूप वह रूप है जिसमें भगवान विष्णु ने राक्षसों और देवताओं के बीच अमृत मंथन के दौरान राक्षसों को धोखा दिया और अमृत देवताओं को दिया। इस प्रकार भगवान ने राक्षसों का नाश कर दिया और देवताओं की सहायता की। इस रूप को देख भक्त विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करते हैं। मोहिनी एकादशी का व्रत उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी है जो मानसिक शांति, सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं। इस दिन उपवास और विशेष पूजा विधियों से व्यक्ति के आत्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है। इसे पालन करने से जीवन में हर प्रकार के संकटों का नाश और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
मोहिनी एकादशी तिथि और समय
वर्ष 2025 में मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को मनाया जाएगा। यह तिथि वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है। व्रत की शुरुआत 7 मई 2025, सुबह 10:19 बजे से होगी और इसका समापन 8 मई 2025, दोपहर 12:29 बजे होगा। व्रत पारण का समय 9 मई 2025 को सुबह 5:42 बजे से 8:17 बजे तक रहेगा।
Method of worship of Mohini Ekadashi मोहिनी एकादशी की पूजा विधि
व्रत की शुरुआत एक दिन पहले दशमी तिथि से होती है। दशमी तिथि को संकल्प लेकर हल्का और सात्विक भोजन करें। इस दिन किसी भी प्रकार का मांसाहार, प्याज, लहसुन या तामसिक भोजन से बचें।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को भी स्वच्छ करें। इस दिन व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शुद्धता की आवश्यकता होती है।
भगवान विष्णु का चतुर्भुज रूप की पूजा करें। पूजा में पीले फूल, तुलसी पत्र, पंचामृत और दीपक का उपयोग करें।
भगवान विष्णु के ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' या ॐ श्री विष्णवे नम: मंत्र का जाप करें। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी लाभकारी माना जाता है।
पूजा के दौरान भगवान के मोहिनी रूप की पूजा का विशेष महत्व है। इसके लिए मोहिनी रूप की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें और उनका ध्यान लगाएं।
इस दिन उपवास रखें और केवल फलाहार या जल का सेवन करें। कुछ लोग निर्जल व्रत भी रखते हैं, जो विशेष भक्ति से जुड़ा होता है। पूरे दिन भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण में समय बिताएं।
मोहिनी एकादशी के दिन रात्रि में जागरण करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन या शास्त्रों का पाठ करें। रात्रि जागरण से मानसिक शांति प्राप्त होती है और भक्त की भक्ति में गहरी संलग्नता आती है।