Mehandipur balaji mandir: क्यों मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को माना जाता है भूत-प्रेत निवारण का केंद्र, जानें इससे जुड़ी मान्यताएं
punjabkesari.in Sunday, Jun 15, 2025 - 06:02 AM (IST)

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Mehandipur balaji mandir: मेहंदीपुर बालाजी के चमत्कारों के बारे में कौन नहीं जानता। राजस्थान में स्थित बालाजी महाराज के इन्हीं चमत्कारों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। लेकिन बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ बातों के बारे में शायद ही कोई जानता होगा। तो आइए जानते हैं बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ बातों के बारे में-
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है और इसकी मान्यता दूर-दूर तक है। यहां बहुत विचित्र चीजें देखने को मिलती हैं। यहां देशभर से लोग भूत-प्रेत की बाधा से मुक्ति पाने के लिए बाला जी महाराज के चरणों में आते हैं। इस मंदिर में लोग भूत-प्रेत जैसे बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। मेहंदीपुर बालाजी में प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा यानी की कोतवाल कप्तान की प्रतिमा है। कहते हैं यहां हर रोज 2 बजे पेशी यानी जिन लोगों पर ऊपरी साया है उसे दूर करने के लिए कीर्तन होता है। यहां और भी कई तरह की विचित्र बातें प्रचलित हैं। कहते हैं यहां के प्रसाद को घर नहीं लाया जा सकता। मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में मिलने वाले किसी भी तरह के प्रसाद को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं खाना चाहिए।इतना ही नहीं, यहां के प्रसाद को घर लाने से भी मना किया जाता है और न ही किसी को दे सकते हैं। ऐसी लोक मान्यता है कि अगर आप यहां से किसी चीज को घर लेकर जाते हैं तो आपके ऊपर बुरी साया का असर आ जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की एक खास बात यह है कि बालाजी की छाती के बीच में एक छेद है, जिसमें से लगातार पानी बहता रहता है। मान्यता है कि इसे बालाजी का पसीना कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान हनुमान बाल रूप में मौजूद हैं। मेंहदीपुर बाला जी के समीप भगवान राम और माता सीता की मूर्ति है, जिसके हनुमान जी हमेशा दर्शन करते रहते हैं। कहते हैं कि भूत-प्रेत की बाधाओं और नकारात्मक बुराइयों से बचने के लिए प्रेतराज सरकार के दरबार में हर रोज 2 बजे कीर्तन होता है। यहां पर भैरव बाबा की मूर्ति है। जहां जाकर सभी को नकारात्मक बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता यह भी है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आने वाले सभी लोगों को एक सप्ताह तक अंडा, मांस, शराब, लहसुन और प्याज का सेवन बंद करना पड़ता है। ये नियम यहां के सभी भक्तों के लिए होता है।