Mahakumbh 2025: कुंभ मेले पर जाने वाले इस तरह उठाएं पूरा धार्मिक लाभ
punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2025 - 08:10 AM (IST)
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Mahakumbh 2025: प्रयागराज का कुंभ मेला बहुत प्रसिद्ध है, इसे "महाकुंभ" के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह हर 144 सालों में एक बार आयोजित होता है। 12 पूर्ण कुंभ के बाद महाकुंभ होता है। महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जिससे इसे दुनिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। यह आयोजन भारतीय कला, संस्कृति, योग और जीवनशैली को विश्व पटल पर प्रस्तुत करता है। महाकुंभ और शाही स्नान भारत की आध्यात्मिक धरोहर हैं, जो जनमानस को आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करते हैं।
Religious Importance of Kumbh Mela: संतों का कहना है कि कुंभ के बारे में सुनकर बहुत सारे लोग आते हैं लेकिन वे इसका पूरा लाभ नहीं उठा पाते क्योंकि कुम्भ एक धार्मिक पर्व है, कोई घूमने-फिरने की जगह नहीं। वहां जो भी लोग जाएं वे धार्मिक लाभ उठाएं, क्योंकि यह लाभ जीवन में ज्यादा बार नहीं मिल पाता। वहां जो भी आए वह धार्मिक आस्था के साथ ही आए और सात्विकता के नियमों का पालन करे। जितना उपलब्ध हो जाए उतने में निर्वाह करने की मन में भावना रखे। हम पूरी जिंदगी सारे संसारी सुख को भोगते हैं लेकिन कुंभ में आने के बाद सुविधा का अत्यधिक उपयोग न करें और जितने भी दिन आप यहां रहें, उतने दिन एक संन्यासी के आध्यात्मिक जीवन की तरह जीएं।
Rising cost of organising Kumbh कुम्भ आयोजन की बढ़ती लागत
जैसा कि इस बार लोगों में कुम्भ को लेकर अद्भुत उत्साह है, जिसमें 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, इसको लेकर वहां सुरक्षा के सहित हर इंतजाम किया जा रहा है।
142 सालों में महाकुंभ के आयोजन के स्वरूप में निरंतर बदलाव आता जा रहा है। महाकुंभ के आयोजन का लगातार विस्तार हो रहा है।
आंकड़ों के अनुसार 142 साल पहले साल 1882 में महाकुम्भ का आयोजन केवल बीस हजार रुपए की लागत से हुआ था। महाकुम्भ मेला 2025 की तैयारियों के बीच इस महा आयोजन का बजट करीब 7500 करोड़ रुपए है।
बताया यह भी जा रहा है कि देश ही नहीं, दुनिया के कोने-कोने से खास से लेकर आम व्यक्ति आएगा। प्रयागराज के व्यापार मंडल के अनुसार कुम्भ के दिनों में यहां करोड़ों रुपए का व्यापार होगा, जिससे हर छोटा-बड़ा व्यापारी उत्साहित है।