5 हज़ार पुराने इस मंदिर का महाभारत से है खास संबंध, श्री कृष्ण ने की थी यहां पूजा

punjabkesari.in Sunday, Aug 07, 2022 - 07:21 PM (IST)

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यूं तो देश की राजधानी में हिंदू धर्म से जुड़े कई मंदिर हैं, परंतु यहां के स्थित योगमाया मंदिर की मानें तो उसका महत्व बेहद खास माना जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं दिल्ली के महरौली में स्थित योगमाया मंदिर की, जिसे महाभारत समय के 5 मुख्य मंदिरों में से एक माना जाता है। बता दें कुछ मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को जोगमाया के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल मंदिर से जुड़ी किंवदंतियों के मुताबिक ये प्राचीन हिंदू मंदिर देवी योगमाया को समर्पित माना जाता है। कहा जाता इस मंदिर की गिनती महाभारत काल में स्थापित किए गए मंदिरों में की जाती है। जिसकी स्थापना स्वयं पांचों पांडवों द्वारा की गई थी। हिंदू धर्म के शास्त्रों व पुराणों आदि में किए वर्णन के अनुसार योगमाया श्रीकृष्ण की बड़ी बहन थीं।
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मंदिर को लेकर अन्य मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में स्वयं श्री कृष्ण ने यहां पूजा की थी। तो वही पांडवों ने योगमाया के वरदान से ही महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त की थी। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से  व्यक्ति को अपने बड़े से बड़े संकट से छुटकारा मिल जाता है। तो आइए और विस्तार से जानते हैं मंदिर से जुड़ा इतिहास-

बताया जाता है कि समय के प्रवाह के साथ देवी योगमाया के इस मंदिर का रूप बदलता रहा है अर्थात इसका जीर्णोद्धार होता रहा है। मंदिर के मौजूदा स्वरूप की बात करें तो बताया जाता है कि ये लगभग ये 1827 का है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार तोमरवंश के राजाओं ने इसका बड़े स्तर पर जीर्णोद्धार करवाया था। बात करें मंदिर में हुई नक्काशी की तो इसके बारे में तो कहा जाता है कि शायद ही राजधानी किसी मंदिर के पत्थरों पर इस तरह की नक्काशी हो। यहां की दीवारों के पत्थरों पर नक्काशी के जरिए देवी-देवताओं को भित्तिचित्रों को दर्शाया गया है। जिसमें भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र और पुष्प के साथ देखा जा सकता है। तो वहीं तस्वीरों में माता लक्ष्मी हैं तथा मां दुर्गा की भी प्रतिमा है। इसमें विष्णु के 12 अवतार भी दिखाए गए हैं।
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मंदिर से जुड़ी अन्य धार्मिक मान्यता-
भागवत में श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी पौराणिक किंवदंती के अनुसार देवी योगमाया ने कंस से उनकी रक्षा की थी। ये श्रीकृष्ण की बड़ी बहन थीं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, श्री कृष्ण की माता देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी जी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए कहा जाता है योगमाया ने श्री कृष्ण के प्राणों की रक्षा थी।
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इसके अतिरिक्त आपकी जानकारी के लिए बता दें इस मंदिर में योगमाया मंदिर में देवी योगमाया की कोई प्रतिमा नही है, बल्कि यहां सांवले रंग की शिला का गोलाकार एक पिंड संगमरमर के दो फुट गहरे कुंड में स्थापित है। बता दें इस पिंडी को लाल रंग के वस्त्र से ढका हुआ है तथा इसका मुख दक्षिण को ओर है। मंदिर के मुख्य द्वार की बात करें तो इस पर "योगमाये महालक्ष्मी नारायणी नमोस्तुते" लिखा हुआ है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को देवी के शक्तिपीठों में भी गिना जाता है।
 


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Content Writer

Jyoti

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