Maha Kumbh mela: हजारों ने किया अखाड़ों में शामिल होने को आवेदन

punjabkesari.in Monday, Jan 20, 2025 - 08:37 AM (IST)

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महाकुम्भ नगर (एजैंसी): सनातन धर्म की रक्षा के लिए हजारों लोगों ने नागा साधु के तौर पर दीक्षा लेने के लिए अखाड़ों में आवेदन किया है। तीन स्तरों पर इन आवेदनों की जांच कर दीक्षा देने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है।

निरंजनी अखाड़ा के महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी में प्रथम चरण में 300-400 लोगों को नागा संन्यासी के तौर पर दीक्षा दी जा रही है। 13 अखाड़ों में सात शैव अखाड़े हैं, जिनमें से छह अखाड़ों में नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जाती है। उन्होंने बताया कि इनमें निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी, अटल, जूना और आह्वान अखाड़ों में नागा साधु बनाए जाते हैं जबकि अग्नि अखाड़े में ब्रह्मचारी होते हैं, वहां नागा नहीं बनाए जाते हैं। शंकराचार्य ने नागा साधु बनाने की जो परंपरा डाली थी, वह संन्यासी अखाड़ों के लिए है। 

जूना अखाड़ा के महामंत्री हरि गिरि महाराज ने बताया कि जूना अखाड़े में नागा साधुओं को दीक्षा के लिए जगह का अभाव है, इसलिए कई चरणों में इन्हें नागा साधु की दीक्षा दी जाएगी और हजारों की संख्या में नागा साधु के लिए आवेदन आए हैं। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुनापुरी महाराज ने बताया कि महानिर्वाणी में 300-350 लोगों को नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जा रही है जिसके लिए पहले से काफी लोगों के आवेदन आए थे। 

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि विभिन्न अखाड़ों में नागा साधु के तौर पर दीक्षा के लिए हजारों की संख्या में लोगों ने आवेदन कर रखा है। एक आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर ने बताया कि पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पर्चियां जारी की जा रही हैं। गोपनीय ढंग से साक्षात्कार लिए जा रहे हैं, सभी पात्रता पूरी करने वाले लोगों को ही नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जा रही है। 

उधर, रविवार को 100 से अधिक महिलाओं को जूना अखाड़ा में नागा दीक्षा दी गई। इनमें तीन विदेशी महिलाएं भी शामिल हैं। जूना अखाड़ा की महिला संत दिव्या गिरि ने बताया कि रविवार को उनके अखाड़े में 100 से अधिक महिलाओं को नागा संन्यासिन के तौर पर दीक्षा दी गई। इस दीक्षा के लिए पंजीकरण जारी है और प्रथम चरण में 102 महिलाओं को नागा दीक्षा दी गई। उन्होंने बताया कि 12 वर्षों की सेवा और उनके गुरु के प्रति के समर्पण को देखने के बाद इन महिलाओं को अवधूतनी बनाया गया। 


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Content Editor

Sarita Thapa

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