Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 सभी रिकॉर्ड तोड़ने को तैयार
punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2025 - 04:22 PM (IST)
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Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में महाकुम्भ मेले का इंतजार पूरी दुनिया में रह रहे सनातनियों को बहुत बेसब्री से रहता है चूंकि यह बारह वर्ष बाद आता है और इसकी मान्यता बहुत है। जैसे ही कुम्भ का आयोजन शुरू होता है, तो देश में बड़े स्तर पर हलचल हो जाती है। इस बार भी तैयारी जोरों-शोरों पर है और सभी में बहुत उत्साह है क्योंकि इस मेले का श्रद्धालुओं और संत समाज के अलावा हर सनातनी बेसब्री से इंतजार करता है। जैसा कि सब जानते हैं कि यह 12 वर्षों बाद आयोजित होता है, तो इसके लिए सभी का मन लालायित रहता है। करोड़ों सनातनी अपनी आस्था को लेकर यहां डुबकी लगाने आते हैं और सम्मिलित होते हैं। कुम्भ सनातन धर्म का प्रतीक माना जाता है।
यहां लोग पापों के क्षय और पुण्य की प्राप्ति के लिए आते हैं। वैसे तो अब सभी हिन्दू तीर्थस्थलों पर बहुत भीड़ होती है और यदि कुम्भ के विषय में आप देखेंगे तो यहां 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आने वाले हैं। पिछली बार लगभग 25 करोड़ श्रद्धालु आए थे और उससे पिछली बार 15 करोड़ आए थे। जब देश आजाद हुआ था तो डेढ़ करोड़ आए थे जबकि उस समय संचार की सुविधा भी बेहतर नहीं थी।
हर बार की तरह कुम्भ में भीड़ का रिकॉर्ड टूटने को है। बारह वर्ष एक युग माना जाता है और एक युग बीतने के बाद गंगा-यमुना के संगम में श्रद्धालु स्नान करते हैं। यहां लोग सत्संग और दान भी करते हैं।
Maha Kumbh will be organized from 13 January to 26 February महाकुम्भ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक
6 dates of Shahi snan शाही स्नान की 6 तिथियांं
Paush Purnima पौष पूर्णिमा- 13 जनवरी
Makar Sankranti मकर संक्रांति- 14 जनवरी
Mauni Amavasya मौनी अमावस्या- 29 जनवरी
Basant Panchami बसंत पंचमी- 3 फरवरी
Maghi Purnima माघी पूर्णिमा- 12 फरवरी
Mahashivaratri महाशिवरात्रि- 26 फरवरी
महाकुंभ के प्रमुख आयोजन
अखाड़ों का प्रदर्शन:
साधु-संतों के विभिन्न अखाड़े अपने धार्मिक अनुयायियों के साथ जुलूस निकालते हैं।
धार्मिक प्रवचन और अनुष्ठान:
इस दौरान संतों के प्रवचन, यज्ञ, हवन और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
आध्यात्मिक संगम:
यह मेला विविधता में एकता का प्रतीक है, जहां देश-विदेश के लोग एकत्र होते हैं।
महाकुंभ और शाही स्नान का आध्यात्मिक संदेश
महाकुंभ और शाही स्नान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि यह आस्था, भक्ति और मानवता के संगम का प्रतीक हैं। ये आयोजन विश्व को भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का संदेश देते हैं।