Maha Kumbh: 12 वर्षों बाद ही क्यों लगता है कुम्भ मेला, पढ़ें इससे जुड़ी धार्मिक कथा

punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2025 - 03:17 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Prayagraj Maha Kumbh 2025: कुम्भ की उत्पत्ति समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है, जब देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब जो अमृत निकला उसको पीने के लिए दोनों पक्षों में युद्ध हुआ, जो 12 दिनों तक चला था। ये बारह दिन पृथ्वी पर बारह वर्षों के बराबर थे इसलिए कुम्भ का मेला 12 वर्षों में लगता है।

PunjabKesari Prayagraj Maha Kumbh
कुंभ का अर्थ होता है ‘कलश’। जब देवताओं और दानवों ने मिल कर समुद्र मंथन किया तब समुद्र से 14 दुर्लभ रत्न प्रकट हुए। इनमें अमृत से भरा कलश भी प्रकट हुआ। इस अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए देवताओं और दानवों में धरती पर 12 वर्षों तक युद्ध होता रहा। इस युद्ध के दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं।

PunjabKesari Prayagraj Maha Kumbh

ये बूंदें प्रयाग और हरिद्वार में गंगा जी में, उज्जैन में शिप्रा तथा नासिक में गोदावरी नदी में गिरीं। बारह वर्ष तक चले युद्ध के कारण बारह वर्षों के अंतराल के बाद इन सभी स्थानों पर कुंभ का योग बनता है जबकि हरिद्वार तथा प्रयाग में छ: वर्षों के बाद अर्थात अर्ध कुंभ का योग बनता है।

PunjabKesari Prayagraj Maha Kumbh
जब दुर्वासा ऋषि के श्राप से देवता शक्तिहीन हो गए तथा दैत्य राज बलि का तीनों लोकों में स्वामित्व था। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के पास जाकर प्रार्थना की और अपनी विपदा सुनाई। तब श्री भगवान बड़ी ही मधुर वाणी से बोले कि इस समय आपका संकट का काल है, दैत्य, असुर, उन्नति को प्राप्त हो रहे हैं।

PunjabKesari Prayagraj Maha Kumbh

अत: आप सब देवता दैत्यों से मित्रता कर लो। आप देवता और दैत्य क्षीर सागर का मंथन कर अमृत प्राप्त करो तथा उसका पान करो। तब श्री भगवान की आज्ञा से देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन कर अमृत से भरे कुंभ अथवा कलश को प्राप्त किया। 

PunjabKesari Prayagraj Maha Kumbh


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News