फल की इच्छा किए बिना करें कर्म, दुख-सुख के बंधन से मिलेगी मुक्ति
punjabkesari.in Thursday, Mar 01, 2018 - 09:24 AM (IST)

श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को कुछ उपदेश दिए थे, जिससे महाभारत के युद्ध पर पार्थ के लिए विजय प्राप्त करनी आसान हो गई। उन्ही में से एक गीता का उपदेश नीचे दिया गया है जिसे व्यक्ति यदि जिंदगी में शामिल कर ले तो अपने लक्ष्य को पाने में सक्षम हो सकता है।
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए कहते हैं-
श्लोक-
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि।।
अर्थात-
इंसान को केवल कर्म का ही अधिकार है, उसके फल के बारे में चिंता करने का नहीं। इसलिए तुम कर्मों के फल की चिंता मत कर और कर्म से विमुख मत हो।
हम कोई काम करने से पहले उसके फल के बारे में सोचते हैं और फिर काम करते हुए भी नतीजे के बारे में सोचते रहते हैं। जब काम की वजह से मनचाहा फल मिलता है, तब हम खुश होते हैं। इससे अहंकार बढ़ जाता है लेकिन अगर हमारी इच्छा के मुताबिक फल न मिले तो हम दुखी हो जाते हैं।
हालांकि अगर कोई भी काम करने से पहले विवेक का उपयोग करके हम यह जान लें कि ऐसा करना सही है या नहीं, तो शंकाएं मिट जाती हैं। अगर वह काम सही है तो उसे नतीजे की फिक्र किए बिना, पूरा मन लगाकर और उत्साह से करें।
श्लोक की दूसरी पंक्ति में कहा गया है कि ऐसा भी नहीं कि तुम काम ही न करो और आलसी होकर बेकार बैठ जाओ क्योंकि काम करके फल की इच्छा और बिना कुछ किए ही फल के बारे में सोचते रहना दोनों ही बुरे नतीजे देने वाला है। इसलिए फल की इच्छा के बिना काम करते रहो क्योंकि इससे ही दुख-सुख के बंधन से मुक्ति मिलेगी।