Joy Maa Shamsundari Kali Temple: इस मंदिर में मां काली के चरणों पर हर रोज दिखती है धूल, जानिए इसका रहस्य
punjabkesari.in Monday, Oct 20, 2025 - 07:00 AM (IST)
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Joy Maa Shamsundari Kali Temple: कोलकाता के इस मंदिर को जॉय मां शामसुंदरी काली मंदिर के नाम से जाना जाता है और स्थानीय लोग इसे जिबंता काली भी कहते हैं। इस मंदिर में होने वाली कुछ अविश्वसनीय घटनाएं भक्तों को अचंभित कर देती हैं, जिनके रहस्य को आज तक सुलझाया नहीं जा सका है।
क्या रात में मंदिर में घूमती हैं मां काली ?
स्थानीय भक्तों और मंदिर के पुजारियों का दृढ़ विश्वास है कि मां काली की प्रतिमा रात के समय मंदिर के भीतर घूमती हैं। कुछ लोगों ने तो रात के सन्नाटे में मां की पायल की आवाज़ भी सुनने का दावा किया है। इस विश्वास को और बल तब मिलता है, जब पुजारी हर सुबह मंदिर की साफ-सफाई के लिए आते हैं। उनका कहना है कि वे नित्य प्रति मां काली के चरणों में धूल लगी हुई देखते हैं, जिसे उन्हें साफ करना पड़ता है। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती हैं कि प्रतिमा वास्तव में रात में अपने स्थान से हटती हैं।

मूर्ति में होती है हलचल और रोती है प्रतिमा
यह मंदिर केवल रात में घूमने की किंवदंतियों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां के भक्तों ने पूजा के दौरान भी कुछ असाधारण अनुभव किए हैं- भक्तों और पुजारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार पूजा करते समय मां काली की प्रतिमा में हलचल होते हुए देखी है। ऐसा लगता है, जैसे मूर्ति में प्राण आ गए हों।
भक्तों के दुख पर रोना: यह मंदिर एक और भावनात्मक चमत्कार के लिए जाना जाता है। पुजारियों और भक्तों का मानना है कि जब भी कोई भक्त मूर्ति के सामने अपने दुख में रोता है, तो मां काली की प्रतिमा भी कुछ अलग दिखाई देने लगती है। ऐसा प्रतीत होता है मानो माता भी अपने भक्तों के कष्ट को देखकर रो रही हों।

कच्चे चावल और केले का अनोखा प्रसाद
इस मंदिर में मां काली को कच्चा चावल और केले का प्रसाद चढ़ाने की एक अनोखी परंपरा है, जिसके पीछे एक पौराणिक कथा है- कथा के अनुसार, एक बार मंदिर के पुरोहित से एक छोटी बच्ची ने प्रसाद के लिए कच्चे चावल और केले मांगे लेकिन पुरोहित ने उसे मना कर दिया। उसी रात, जब पुरोहित पूजा करने मंदिर आया, तो उसने देखा कि माता की प्रतिमा गायब थी! तभी वह छोटी बच्ची फिर से वहां आई और पुरोहित से कच्चे चावल और केले मागने लगी। मान्यता है कि उस दिन से ही इस मंदिर में मां काली को प्रसन्न करने के लिए कच्चे चावल और केले का प्रसाद अर्पित करने की परंपरा शुरू हो गई। इन चमत्कारों और रहस्यों के कारण, यह मंदिर आज भी भक्तों के लिए एक गहरा आस्था का केंद्र बना हुआ है, जिसे जिबंता काली के रूप में पूजा जाता है।

