Jivitputrika Vrat: कब रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 08:07 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Jivitputrika Vrat: हर साल महिलाएं अपनी संतान के लिए कई तरह के व्रत रखती है उन्हीं व्रत में से एक विशेष व्रत है जीवित्पुत्रिका व्रत जो हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। ये व्रत बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि ये व्रत बिना अन्न और जल के बिना रखा जाता है। इस व्रत को जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। हर साल माताएं ये व्रत अपने बच्चे के दीर्घायु जीवन के लिए रखती है। साल 2025 में जीवित्पुत्रिका व्रत कब रखा जाएगा इसको लेकर लोगों में कन्फ्यूजन बनी हुई है। तो आइए जानते हैं इस व्रत के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-

PunjabKesari Jivitputrika Vrat

Jivitputrika Vrat Shubh Muhurat जीवित्पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 14 सितंबर दिन रविवार को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर होगा और इसका समापन 15 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 03 बजकर 06 मिनट पर होगा। इस हिसाब से जीवित्पुत्रिका व्रत 14 सितंबर दिन रविवार को किया जाएगा। इसका पारण 15 सितंबर को किया जाएगा। इस दिन महालक्ष्मी व्रत का भी समापन होगा। ऐसे में ये दिन और भी ज्यादा शुभ हो जाता है।

PunjabKesari Jivitputrika Vrat

Significance of Jivitputrika Vrat जीवित्पुत्रिका व्रत महत्व
यह व्रत मातृत्व की गहन भावना और त्याग का प्रतीक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान पर आने वाले संकट दूर होते हैं और उन्हें लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन उपवास करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और संतान को आरोग्य की प्राप्ति होती है। जीवित्पुत्रिका व्रत के एक दिन पहले नहाय-खाय किया जाता है। यानी के व्रती व्रत से एक दिन पूर्व स्नानादि और पूजा पाठ करने के बाद भोजन पाता है और फिर अगले दिन यानी के व्रत के दिन निर्जला व्रत रखते हैं। ऐसे में ध्यान रखें कि नहाय खाय के दौरान कभी भी मांस, लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन आदि नहीं करना चाहिए।

PunjabKesari Jivitputrika Vrat

Jivitputrika Vrat Puja vidhi जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि
जीवित्पुत्रिका व्रत को छठ जैसा ही महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए महिलाएं इसकी शुरुआत एक दिन पहले नहाय-खाय की परंपरा से करती हैं। इस दिन वे सात्विक भोजन बनाकर पहले पितरों को अर्पित करें और फिर कौवे और गाय आदि को खिलाएं। व्रत वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और ध्यान करें और पूरे दिन निर्जला व्रत रखें। पूजा के लिए घर के पवित्र स्थान को गोबर और मिट्टी से लिपाई कर पवित्र कर लें और वहां एक छोटा तालाब बनाएं। इसी स्थान पर कुशा से भगवान जीमूतवाहन की स्थापना करें। साथ ही, मिट्टी और गोबर से चील और सियारिन की आकृतियां बनाकर उनकी भी पूजा की जाती है। पूजन के समय भगवान जीमूतवाहन को धूप, दीप, माला, फूल, रोली, सिंदूर, फल और मिठाई अर्पित की जाती है और फिर व्रत की कथा सुने या पढ़े। अगले दिन शुभ मुहूर्त में पारण कर व्रत का समापन करें और भगवान जीमूतवाहन से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगे।

PunjabKesari Jivitputrika Vrat


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Sarita Thapa

Related News