Rishi Panchami Vrat Katha: मासिक धर्म में हुई गलतियों के प्रायश्चित का दिन है ऋषि पंचमी, पढ़ें कथा
punjabkesari.in Thursday, Aug 28, 2025 - 06:48 AM (IST)

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Rishi Panchami 2025: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्त्रियों को रजस्वला में पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों को करने की मनाही होती है। अगर इस समय में गलती से कोई पूजा-अर्चना का सामान स्पर्श हो जाए तो बहुत पाप लगता है। इस तरह के पाप से मुक्ति पाने के लिए ये व्रत बहुत खास होता है। मासिक धर्म में हुई गलतियों के प्रायश्चित के लिए ये व्रत रखा जाता है।
Rishi Panchami Vrat Katha ऋषि पंचमी व्रत कथा
किवदंतियों के अनुसार विदर्भ गांव में उत्तंक नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सुशीला था जो की बहुत पतिव्रता थी। ब्राह्मण का एक पुत्र और पुत्री थी। ब्राह्मण ने खुशी-खुशी अपनी बेटी को विवाह करके विदा किया लेकिन कुछ समय पश्चात ही वो विधवा हो गई। दुखी होकर ब्राह्मण अपनी कन्या के साथ गंगा के पास कुटिया बनाकर रहने लगे।
एक दिन वो कन्या सो रही थी और उसका सारा शरीर कीड़ों से भर गया। ये देखकर ब्राह्मण की पत्नी बहुत घबरा गई और सारी बात जाकर ब्राह्मण को बताई और कहने लगी मेरी बेटी से ऐसी क्या गलती हो गई जो इसके साथ ऐसा हुआ ?
ब्राह्मण ने ध्यान लगाकर इस घटना का पता किया और देखा कि पिछले जन्म में भी ये कन्या ब्राह्मणी थी। रजस्वला के समय में उसने बर्तन छू दिए थे। जिस वजह से उसके शरीर में कीड़े पड़ गए हैं। इस समस्या का समाधान पाने के लिए ब्राह्मण ने कहा कि इस पाप से मुक्ति पाने के लिए कन्या से ऋषि पंचमी का व्रत कराया जाए। पिता की आज्ञा से पुत्री ने ऐसा ही किया और कुछ समय बाद इस व्रत के कारण उसके जीवन से सारे दुःख-दर्द दूर हो गए।