पंच पीर के संरक्षण में है ये किला, हिंदू देवता का दर्शन करने आते हैं भक्त

punjabkesari.in Friday, Dec 09, 2016 - 12:29 PM (IST)

सैलानियों को बुलाता है मुरुड का अजेय ‘जंजीरा’
मुरुड जंजीरा एक प्रसिद्ध बंदरगाह है जो महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के अंतर्गत एक तटीय गांव मुरुड में स्थित है। मुंबई और आसपास के क्षेत्र के लिए मुरुड-जंजीरा एक बेहतरीन पर्यटन क्षेत्र है। अरब सागर के एक टापू पर बसा यह पर्यटन स्थल सैलानियों को बेहद पसंद आता है। रायगढ़ जिले के तटीय गांव मुरुड की हरी-भरी छटा और समुद्र का किनारा यहां प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। यहां भारत के पश्चिमी तट का एक मात्र किला ‘जंजीरा’ स्थित है, जो कभी भी जीता नहीं गया। यह केवल यही एक किला है जो अंदरूनी तथा पुर्तगालियों, डच तथा इंगलिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अनेक हमलों के बाद भी खराब नहीं हुआ। यह किला 350 वर्ष पुराना है। स्थानीय लोग इसे अजिंक्या कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है अजेय। माना जाता है कि यह किला पंच पीर पंजातन शाह बाबा के संरक्षण में है। शाह बाबा का मकबरा भी इसी किले में है। 


यह किला समुद्र तल से 90 फीट ऊंचा है। इसकी नींव 20 फीट गहरी है। यह किला सिद्दी जौहर द्वारा बनवाया गया था। इस किले का निर्माण 22 वर्षों में हुआ था। यह किला 22 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें 22 सुरक्षा चौकियां हैं। इस किले में सिद्दीकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं। जंजीरा नाम भारतीय मूल का नहीं है। इसका उद्भव अरबी शब्द जजीरा से हुआ है जिसका अर्थ है टापू या द्वीप। मुरुड को कभी हबसन या हब्शी के नाम से जाना जाता था जिसका मराठी का अर्थ है अब्यिस्सनियन। मुरुड शब्द मोरोड़ से जुड़ा हुआ है जो एक कोंकणी शब्द है। इस प्रकार इस किले का नाम कोकणी और अरबी शब्द (मोरोड़ और जंजीरा) से पड़ा जो बाद में मुरुड जंजीरा के नाम से जाना जाने लगा। अनेक लोग इस किले को जल जीरा भी कहते हैं क्योंकि यह स्मारक चारों ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। 


मुरुड जंजीरा का इतिहास
12वीं शताब्दी में जब सिद्दी राजवंश द्वारा यह किला बनाया गया उस समय मुरुड शहर जंजीर के सिद्दियों की राजधानी था। विदेशी और घरेलू सत्तारूढ़ राजवंशों ने इस किले में घुसने तथा कब्जा करने के अनेक असफल प्रयत्न किए। स्मारक का दुर्ग शानदार ढंग से बनाया गया था। प्रारंभ में मुरुड के स्थानीय मछुआरों द्वारा एक लकड़ी के गढ़ के रूप में बनाया गया यह किला समुद्र की ओर से होने वाले समुद्री डाकुओं के आक्रमणों से उनके बचाव और रक्षा के लिए बनाया गया था। कहा जाता है कि बाद में पीर खान ने नगर के जिनाम शाही राजवंश के तहत इस किले पर कब्जा कर लिया। जैसे-जैसे समय बीता उन्होंने इस किले को और मजबूत किया और उसे इतना शक्तिशाली बनाया कि यह हमला करने वाले दुश्मनों के लिए अभेद्य बन गया। नगर साम्राज्य के एक प्रमुख शासक मालिक अंबर ने किले को फिर से बनाया। 


दर्शनीय स्थल
मुरुड जंजीरा किला एक मजबूत समुद्री किला है जहां राजापुरी घाट से पहुंचा जा सकता है। यहां अभी भी कई बुर्ज और तोपें हैं जो खराब नहीं हुई हैं। किले के परिसर में मस्जिद, अधिकारियों के रहने के स्थान, अनेक महल और एक बड़ी पानी की टंकी है। 
बेसिन का अद्भुत द्वीप किला भी एक अन्य ऐतिहासिक स्मारक है, जहां से बेसिन का समुद्र तट देखा जा सकता है। पास का पंचला किला भी दर्शनीय है।


ऐतिहासिक किले के अलावा मुरुड छुट्टियों के लिए आदर्श स्थान है। इसके समुद्र तट पर चांदी की तरह चमकती हुई सफेद रेत है जिनके किनारे नारियल और सुपारी के पेड़ लगे हुए हैं। यहां का स्वच्छ पानी सूर्य की किरणों से चमकता है और चारों ओर फैली हुई हरियाली शक्तिशाली चुंबक की तरह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।


धार्मिक लोगों के लिए एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है। इस मंदिर की मूर्त अत्यंत सुंदर है जिसके तीन सिर हैं जो हिंदू देवता और ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं। एक छोटा-सा गांव एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। यहां का सूर्य, रेत, ऐतिहासिक किले और सुहावना मौसम उन पर्यटकों को अपनी ओर बुलाते हैं जो ऐसे अनुभव का आनंद लेना चाहते हैं जो उन्हें हमेशा याद रहे।


कैसे पहुंचें मुरुड जंजीरा?
मुंबई से मुरुड जाने के लिए गेटवे ऑफ इंडिया से बोट द्वारा मांडवा तक सागर की लहरों का लुत्फ उठाते पहुंचा जा सकता है, वहां से बस द्वारा अलीबाग तथा अलीबाग से मुरुड के लिए बस द्वारा पहुंचने की सुविधा उपलब्ध है। मुंबई से मुरुड के लिए सड़क मार्ग से अपने वाहन अथवा बस में भी जाया जा सकता है। जंजीरा का किला जाने के लिए ऑटोरिक्शा से मुरुड से राजपुरी जाना होता है। यहां से नाव द्वारा जंजीरा का किला जाया जा सकता है। एक व्यक्ति का नाव का किराया 20 रुपए है। समय सुबह 7 बजे से शाम 6 से 7 के बीच। यह किला शुक्रवार को दोपहर से 2 बजे तक बंद रहता है।


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