Jagannath Temple Kanpur: बारिश आने से पहले संकेत देता है ये चमत्कारी मंदिर, वैज्ञानिक भी हैं हैरान !
punjabkesari.in Wednesday, Sep 03, 2025 - 07:00 AM (IST)
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Jagannath Temple Kanpur: भारत में वैसे तो हजारों मंदिर हैं, जिनकी खासियतें अलग-अलग हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो बरसात की भविष्यवाणी करने के लिए जाना जाता है। यह चमत्कारी मंदिर कानपुर के घाटमपुर तहसील के बेहटा गांव में स्थित है, जो लखनऊ से करीब 120 किलोमीटर दूर है। यहां स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि प्राकृतिक संकेतों से मौसम का पूर्वानुमान बताने के लिए भी प्रसिद्ध है।

मंदिर की अद्भुत बनावट
इस मंदिर की स्थापत्य शैली इसे बाकी मंदिरों से अलग बनाती है। इसकी गुंबदनुमा छत ओडिशा और बंगाल के प्राचीन मंदिरों की याद दिलाती है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था। इसकी बनावट और इसमें मौजूद प्राकृतिक संकेत आज भी वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों को हैरान कर देते हैं।
कैसे करता है मंदिर मानसून की भविष्यवाणी?
मंदिर के अंदर, गर्भगृह की छत पर एक खास पत्थर की पट्टी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जब इस पर पानी की बूंदें गिरनी शुरू हो जाती हैं, तो कुछ ही दिनों में बारिश होना तय है। अगर सिर्फ नमी दिखाई दे, तो हल्की बारिश होती है। लेकिन यदि बूंदें टपकने लगें, तो यह संकेत होता है कि इस बार अच्छी बारिश होगी।
किसानों के लिए वरदान
मंदिर के आसपास के करीब 50-60 किलोमीटर के क्षेत्र में रहने वाले किसान इस प्राकृतिक संकेत को बेहद गंभीरता से लेते हैं। जैसे ही मंदिर में बूंदें दिखाई देती हैं, किसान खेतों की तैयारी शुरू कर देते हैं और बारिश के स्वागत में विशेष पूजा-पाठ भी करते हैं।

आज भी बना हुआ है रहस्य
कई विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इस मंदिर के रहस्य को समझने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि छत से बूंदें कैसे गिरती हैं। यह मंदिर आज भी बारिश के पूर्व संकेत देने वाले प्राकृतिक मौसम केंद्र जैसा काम करता है, और यह रहस्य इसे और भी खास बना देता है।
पुरी जैसी रथ यात्रा का आयोजन
यहां हर साल पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दौरान पूरे गांव में उत्सव का माहौल होता है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस पर्व में शामिल होते हैं।

धार्मिक आस्था और प्रकृति का अद्भुत मेल
बेहटा गांव का यह मंदिर सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि प्रकृति से संवाद करने का एक अनूठा माध्यम भी है। यह मंदिर हमें याद दिलाता है कि कभी-कभी प्राचीन मान्यताएं और प्राकृतिक संकेत मिलकर विज्ञान से भी आगे निकल जाते हैं।

