भगवान शिव की इन दासियों के पास हैं जादू की शक्तियां जानें, रोचक जानकारी

punjabkesari.in Saturday, Dec 24, 2016 - 12:29 PM (IST)

तंत्र शास्त्र की मान्यता के अनुसार संपूर्ण ब्रह्मांड में बहुत से लोक विद्यमान हैं। इन समस्त लोकों के पृथक-पृथक देवी-देवता हैं, जो इन लोकों में वास करते हैं। मृत्युलोक (धरती जहां हम रहते हैं) से इन लोकों की दूरी उलट-पलट है। माना जाता है कि जो लोक पृथ्वी के पास में पड़ते हैं, वहां पर निवास करने वाले देवी-देवता की कृपा प्राप्त करना बहुत सरल है। निश्चित दिशा व समय का ध्यान रखते हुए मंत्र साधना के द्वारा उन तक तरंगे शीघ्र अपना प्रभाव दिखाती हैं। यक्ष, अप्सरा, किन्नर आदि की साधना करना बहुत सरल है, ये धरती के समीप ही वास करते हैं।


आखिर कौन हैं यक्ष-यक्षिणी
यक्ष शब्द का वास्तविक अर्थ है जादू की शक्ति। कहते हैं की यक्ष-यक्षिणी भगवान शिव के दास-दासियां हैं। आदिकाल में ये रहस्यमय जातियों की अध्यक्षता करते थे। इनकी जाती में आते हैं देव, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, अप्सराएं, पिशाच, किन्नर, वानर, रीझ, भल्ल, किरात, नाग आदि। ये मानव जाति से कुछ-कुछ भिन्न थे। रहस्यमय शक्तियों के स्वामी होने के कारण ये धरतीवासियों की किसी न किसी रूप में मदद करते थे। देवताओं के उपरांत यक्ष ही मानव जाति की संपूर्ण इच्छाएं पूरी करते हैं।

कहा जाता है की यक्षिणियां सकारात्मक शक्तियां हैं और पिशाचिनियां नकारात्मक। कुछ लोग अज्ञानतावश यक्षिणियों को भी भूत-पिशाच की श्रेणी में रखते हैं, लेकिन उनका ऐसा सोचना सरासर गलत है।


बहुत सारे लोग धन के स्वामी कुबेर को देव मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है वे यक्ष हैं। कुबेर के पिता विश्रवा जी की दो पत्नियां थीं इलविला और कैकसी। इलविला यक्षों की कन्या थी, कैकसी राक्षस जाति से संबंध रखती थी। इलविला के पुत्र कुबेर हैं और  कैकसी के पुत्र रावण, विभीषण और कुंभकर्ण।


मुख्य रूप से 33 देव होते हैं और 64 यक्ष और यक्षिणियां, 8 प्रमुख यक्षिणियां होती हैं। इनकी अलग-अलग साधनाएं होती हैं और विभिन्न फलों की प्राप्ति होती है।
1. सुर सुन्दरी यक्षिणी

2. मनोहारिणी यक्षिणी

3. कनकावती यक्षिणी

4. कामेश्वरी यक्षिणी

5. रतिप्रिया यक्षिणी

6. पद्मिनी यक्षिणी

7. नटी यक्षिणी

8.अनुरागिणी यक्षिणी


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