कोई आपका मजाक उड़ाए या नीचा दिखाए तो...

punjabkesari.in Friday, Sep 22, 2023 - 09:25 AM (IST)

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विद्यालय में सब उसे मंदबुद्धि कहते थे। उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढ़ने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था।

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कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था और बच्चे उसका मजाक उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे। पढ़ने जाना तो मानो एक सजा के समान हो गया था, वह जैसे ही कक्षा में घुसता, बच्चे उस पर हंसने लगते-कोई उसे महामूर्ख तो कोई उसे बैलों का राजा कहता, यहां तक कि कुछ अध्यापक भी उसका मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते। इन सबसे परेशान होकर उसने स्कूल जाना ही छोड़ दिया।

अब वह दिन भर इधर-उधर भटकता और अपना समय बर्बाद करता। एक दिन इसी तरह कहीं से जा रहा था, घूमते-घूमते उसे प्यास लग गई। वह इधर-उधर पानी खोजने लगा। अंत में उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह वहां गया और कुएं से पानी खींच कर अपनी प्यास बुझाई। अब वह काफी थक चुका था इसलिए पानी पीने के बाद वहीं बैठ गया। तभी उसकी नजर पत्थर पर पड़े उस निशान पर गई जिस पर बार-बार कुएं से पानी खींचने की वजह से रस्सी का निशान बन गया था। वह मन ही मन सोचने लगा कि जब बार-बार पानी खींचने से इतने कठोर पत्थर पर भी रस्सी का निशान पड़ सकता है तो लगातार मेहनत करने से मुझे भी विद्या आ सकती है। उसने यह बात मन में बैठा ली और फिर से विद्यालय जाना शुरू कर दिया।

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कुछ दिन तक लोग उसी तरह उसका मजाक उड़ाते रहे पर धीरे-धीरे उसकी लगन देख कर अध्यापकों ने भी उसे सहयोग करना शुरू कर दिया। उसने मन लगाकर अथक परिश्रम किया। कुछ सालों बाद यही विद्यार्थी प्रकांड विद्वान वरदराज के रूप में विख्यात हुआ, जिसने संस्कृत में मुग्धबोध और लघुसिद्धांत कौमुदी जैसे ग्रंथों की रचना की।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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