Human Ancestors: हमारे पूर्वज धरती पर उतर आए तो...?
punjabkesari.in Tuesday, May 13, 2025 - 07:52 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Human Ancestors: यदि हमारे पूर्वज हमारी धरती पर उतर आएं तो क्या होगा? वे अवश्य सोचने लगेंगे कि यह कोई अचम्भा है या फिर जादूगर द्वारा बनाई गई बस्ती जिसे वे देख रहे हैं। लो वे आ ही गए। उन्होंने देखा सब ओर जगमग है, कल-कारखाने, विज्ञान के चमत्कार, दौड़ती हुई गाड़ियां, सटी हुई भीड़ें, उड़ते हुए वायुयान, चंद्रमा और उससे भी परे मंगल पर जाते हुए उपग्रह। ये सब उन्होंने नहीं देखे थे। वे दुविधा में पड़ गए कि कहीं उन्हें गलती तो नहीं लग गई। यह वह धरती नहीं जिसे वे छोड़कर गए थे।
मुझे एक घटना का स्मरण है, जब वे (मेरे पूर्वज) बाजार घूमने के लिए गए। उन्होंने देखा कि लोग परस्पर झगड़ रहे थे। कोई कहता था कि दाम पूरे लेकर भी मुझे वस्तु ठीक नहीं दी। कोई कह रहा था कि रिश्वत लेकर भी मेरा काम नहीं किया। उन्होंने देखा कि पैसे की अंधी दौड़ है और मिलावटी चीजों की होड़ है। शक्तिशाली लोग गरीबों के अधिकार छीन रहे हैं। ईश्वर और धर्म के नाम पर मिथ्या धारणाएं पनप रही हैं, जो द्वेष और साम्प्रदायिक असहिष्णुता का कारण बनी हुई हैं।
खैर, एक गगनचुम्बी भवन को देखने के लिए वे उसके बगीचे में दाखिल हो गए। वहां अंग्रेजी में लिखा था ‘नॉट थॉरो फेयर’ (यह आम रास्ता नहीं)। बाहर सुरक्षा अधिकारी खड़ा था, जिसने उन्हें पकड़ लिया और बोला, ‘‘तुम कहां से आए हो?’’
वे बोले, ‘‘स्वर्ग से’’।
‘‘हा हा हा, यहां स्वर्गवासियों का क्या काम ? तुम्हें दिखाई नहीं देता कि इतने बड़े बोर्ड पर लिखा है ‘नॉट थॉरो फेयर’।’’
वे बोले, ‘‘हमें अंग्रेजी नहीं आती।’’
सुरक्षा कर्मचारी बोला, ‘‘तुम एक बहुत बड़े ऑफिसर की कोठी में घुस आए हो। तुम जासूस हो। तुम्हें थाने चलना पड़ेगा।’’
उन्हें थाने लाया गया। पुलिस अधिकारी ने पूछा कि आपका यहां कोई रिश्तेदार है तो उसे बुलाओ। वही आपको जमानत देकर छुड़वा सकता है। उन्होंने मेरा पता बता दिया। सिपाही मुझे बुलाने आया कि तुम्हारे पूर्वज थाने में बैठे हैं, जाकर ऑफिसर से बात कर लो। मेरा माथा ठनका कि दाल में कुछ काला है।
थाने पहुंचते ही आफिसर ने मुझे कहा कि तुम्हारे इन पूर्वजों ने एक उच्च पदाधिकारी की कोठी में जबरदस्ती घुसने की कोशिश की है। कानून के अनुसार इन्हें बहुत बड़ा दंड मिलना चहिए परंतु इससे पहले हमारे पास इनकी कोई शिकायत दर्ज नहीं है, इसलिए हमारा थोड़ा बहुत चाय-पानी दो और इन्हें ले जाओ। उसने जो मांगा, दे दिया और मेरे पूर्वज बाइज्जत घर वापस आ गए।
आखिर वही बात हुई जिसका मुझे भय था। वे तंग आ गए मेरी इस दुनिया से, इस घुटन से, इस धोखे भरे जीवन से और जीवन की इस कृत्रिमता से। राजनीति की तिकड़मबाजी से, धर्मों और मजहबों की ऊहापोह से।
यहां हर व्यक्ति दाव लगाए बैठा है, एक-दूसरे से कुछ छिपा रहा है। हर व्यक्ति की आत्मा में झूठ है और सभी एक-दूसरे के सामने सच्चे और पवित्र बनने का उपक्रम कर रहे हैं।
सामाजिक न्याय की बातें करने वाले स्वयं अन्याय का दामन थामे बैठे हैं। ऐसी दशा में वे भला यहां कैसे रह सकते थे। वे निजधाम (स्वर्ग) लौट गए।